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Zid (Part -1) ज़िद (भाग-१)

‘हाँ मैं जानता हूँ कि मैं गलत कर रहा हूँ,’ मैंने खीझ कर रवि से कहा।
‘पर तुम कोई और भी तरीका अपना सकते हो,’ वो अभी भी शांत भाव में था।
‘नहीं, मैं यही करूंगा’ मेरा चिढ़चिढ़ापन बरकरार था।
‘ठीक है, जैसा तुम चाहो,’ कहते हुए वह मेरे कमरे से चला गया।रवि मेरा सबसे अच्छा और बचपन का मित्र है। आपकी भाषा का उपयोग करूँ तो वह मेरा “लँगोटिया यार” है। मेरे हर सही-गलत फैसले पर सबसे पहले उसका हक होता था और उसका किया गया निर्णय ही सर्वोपरि होता था। पर इस बार मैं उसका कोई भी निर्णय मानने को तैयार नहीं था और यही मेरी “ज़िद” थी।
रवि पतला सा, हल्के गेहुँए रंग, मध्यम कठ-काठी का लड़का था। हम बचपन से ही साथ मे रहे, खेले, पढ़े और बड़े हुए। हम इस समय रिया के बारे में बात कर रहे थे और मेरे एक निर्णय पर रवि को एतराज़ था, जिसे वह बार-बार बदलने को बोल रहा था। पर इस समय मेरे अंदर अलग ही फितूर सवार था और मुझे किसी की भी किसी भी राय की कोई आवश्यकता नहीं थी। और जब मैंने “ज़िंदगी में पहली बार” उसकी बात नहीं मानी तो वह उठकर चला गया। सच कहूँ तो अभी मुझे कोई मलाल नहीं था उसके यूँ चले जाने से या आप कह सकते हैं कि मुझे इस समय किसी की कोई परवाह नहीं थी। अरे इस रवि के चक्कर में मैं आपको रिया से मिलवाना ही भूल गया। आइये आप भी उससे रूबरू हो लीजिये जिसने मुझे पूरी तरह बदल दिया।
5 जून 2017

दोपहर के 12 बज चुके थे और सूरज आसमान के बीचों-बीच पहुँच कर अपनी चरम-सीमा पार करते हुए आग उगल रहा था। मौसम इतना गरम था कि अगर किसी को जरूरी काम से घर के बाहर निकलना पड़े तो वह ज़िंदा तो वापस नहीं आने वाला था ।
मैं अपने कमरे में AC चलाकर, बिस्तर में पड़े हुए टी.बी. देखने का लुत्फ उठा रहा था। यहाँ आपको बता दूँ कि ओज़ोन लेयर में हो रहे बदलाव (छेद) व ग्लोवल वार्मिंग करवाने में इस तरह से थोड़ा ही सही पर ‘श्रेय’ मुझे भी जाता है।
टी.बी. पर हाफ गर्लफ्रेंड फ़िल्म का मेरा सबसे पसंदीदा गाना ‘फिर भी तुमको चाहूँगा’ आ रहा था, और मेरा पूरा ध्यान उसी पर था। ‘बेटा, जरा दही ला दो’ इस आवाज ने मेरा ध्यान तोड़ा ही नहीं बल्कि शरीर में एक अजीब सी सिहरन भी पैदा कर दी। इस जला देने वाली धूप में मैं AC से बाहर निकलकर मरने जाऊँ, वो भी सिर्फ दही लाने के लिए। मेरी तो अंदर से रूह ही काँप गयी।
यह आवाज माँ की थी, उन्हें हमेशा ऐसे गलत समय पर ही काम करवाने की आदत है जिस समय वह काम करने में आपकी जान का भी जोखिम हो सकता है। एक जीता-जागता उदाहरण आपके सामने है।
मैं बिना मन के अपने कमरे से बाहर आया। मैंने जैसे ही कमरे के बाहर कदम रखा मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरे ऊपर आग के गोले फेंक दिए हों। ‘अगर घर के अंदर ये हाल है तो समझ ले बेटा बाहर तेरी मौत पर सूर्यदेवता तांडव करेंगे और सब तमाशा देखेंगे’ मेरे दिमाग के किसी कोने से मुझे आवाज आई।
“मैं नहीं ला रहा अभी कोई दही,” मैंने माँ से कहा।
“पापा को फोन करूँ?” यह उनका ब्लैकमेल करके काम करवाने का अपना ही तरीका है। मुझे लगता है कि भारत की 90% माँओं का यही तरीका होता होगा।
“कितना लाना है?” मैंने झल्लाते हुए पूँछा, जिसपर उन्होंने बिल्कुल ध्यान नहीं दिया। “ठीक है, आधा किलो ले आता हूँ” कहते हुए मै घर से बाहर निकल गया।
                                                      ◆
‘ये दही अभी ही मँगाना था माँ को, शाम तक का इंतज़ार नहीं कर सकती थीं?’ मैंने हाथ में दही की पन्नी को लहराते हुए गुस्से में खुद से बोला और दही की तरफ देखने लगा। तभी मैं किसी चीज से बहुत तेज़ी से टकराया और गिर गया। दही की पन्नी हवा में उछलकर ‘फट’ आवाज के साथ रोड पर गिरी और फट गई। मैं रोड पर पड़ा हुआ दही को बहते और इतनी धूप में की गई अपनी मेहनत बेकार जाते देख रहा था। मैं गुस्से में खुद इतना गरम हो चुका था कि जिस रोड पर मैं गिरा पड़ा था उसकी गर्मी मुझे महसूस नहीं हो रही थी, जो कि सूर्यदेव की कृपा से एक जलते तवे जितना गर्म हो चुका था। मैं किसी इंसान से ही टकराया था इतना तो महसूस हो चुका था। मैं गुस्से में उठा और थप्पड़ मारने के लिए हाथ उठाया ही था कि मेरा हाथ रुक गया। मेरे सामने जो नज़ारा था वह देखकर मुझे उस गर्म मौसम में भी हल्की ठंडी हवा महसूस हो रही थी। वो खुले लंबे काले बाल जो बार-बार उसके सॉरी बोलने पर उठते हुए होंठो के साथ सर हिलने पर उसकी आँखों को छिपा रहे थे। जिन्हें वो बार-बार कानो के पीछे कर रही थी और धूप के कारण उस सफेद त्वचा का रंग लाल पड़ चुका था। मेरे बराबर लंबाई और आँखों मे काजल। मेरा हाथ हवा में उठा देखकर वह थोड़ा सा सहम गए और पीछे को हुई। मैं उसमे इतना खो चुका था कि उस नालायक हाथ को नीचे वपास आने का आदेश देना ही भूल चुका था। मुझे यह इल्म काफी देर बार हुआ और मैंने अपना हाथ नीचे कर लिया।
“मुझे माफ़ कर दो, मैं जल्दी में थी और देख नहीं पाई,” उसने पाँचवी या छठवीं बार बोला होगा।
मैं उसमे इतना खो गया था कि मुझे ना कुछ सुनाई दे रहा था और ना ही कुछ महसूस, उसपर ये नालायक हाथ ने सारा मजा खराब कर दिया था। “अरे कोई बात नहीं गलती मेरी भी है” मैंने शांत भाव मे कहा।
“आपका दही फैल गया, आपको चोट तो नहीं आई?”
“नहीं-नहीं कोई बात नहीं, मुझे कुछ नहीं हुआ सब ठीक है”
“पक्का?” उसने थोड़ा आराम की मुद्रा बनाते हुए पूँछा।
“हाँ बिल्कुल,” इसके अलावा मैं उससे कह भी क्या सकता था।
“ठीक” कहकर वो मुड़ी और जाने लगी। मैं उसे देख रहा था जाते हुए। मैं उसे रोकन चाहता था। मेरे कानो के अंदर एक ही आवाज आ रही थी ‘उससे नाम तो पूछ लें कम से कम,’ मैंने बिना देर किए अपने मन की इस आज्ञा का पालन किया और उसे आवाज लगाई ‘सुनो’।
वो चलते-चलते एकदम से रुक गयी और मेरी तरफ मुड़ गयी।
“क्या हुआ?” उसने पास आकर पूछा।
“तुमने मेरा दही गिराया”
“अभी तो तुम कह रहे थे कि कोई बात नहीं,” उसने आश्चर्यचकित होकर पूँछा।
“अरे बात तो अभी भी कुछ नहीं, लेकिन खामियाज़ा तो भुगतना पड़ेगा ना,” मैंने हँसते हुए कहा।
“एक तो तुम पहले कहते हो कि सब ठीक है, फिर मुझे वापस बुला कर खामियाज़ा भरने को कहते हो वो भी हँसते हुए, ये क्या बात हुई?” इस बार उसका स्वर तेज था।
“अरे-अरे शांत हो जाओ मैं कुछ ज्यादा तो नहीं माँग रहा। बस खामियाज़ा ये है कि तुम्हे मुझे अपना नाम बताना होगा,” कहते हुए मैंने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया। वो भी थोड़ा सा मुस्कुराई ‘ओह, रिया… रिया शर्मा’ कहते हुए उसने हाथ मिलाया। ‘कुश… कुश चतुर्वेदी’ मैंने कहा।
“हाय कुश! अच्छा लगा मिलके और एक बार फिर से मुझे माफ़ कर दो,” इस बार वह शांत और खुश थी।
“मुझे भी अच्छा लगा और यूँ बार-बार माफी माँगने की जरूरत नहीं है, गलती मेरी भी थी,” मैंने कहा।
“चलो ठीक हैं मैं चलती हूँ बाय,” कहकर उसने हवा में हाथ हिलाया और मुड़कर जाने लगी।
“बाय” मैं इतना ही कह पाया। चलो मुझे नाम तो पता चला। ‘रिया’ कितना प्यारा नाम है उसी की तरह। अब मुझे माँ के मुझसे दही मंगाने पर बिल्कुल भी गुस्सा नहीं आ रहा था, मैं तो बहुत खुश था। अब मुझे सूर्यदेव की उस आग की तपन भी महसूस नहीं हो रही थी, जो  कुछ देर पहले मुझे जलाने का हुनर रखती थीं।
घर पहुंचते ही मैंने माँ को दही दिया और कमरे में जाकर लैपटॉप  उठाया और फेसबुक पर ‘रिया शर्मा’ सर्च करने लगा। काफी ज्यादा प्रोफाइल्स और लगभग एक घंटे की मेरी मेहनत के बाद मुझे वो मिली। ‘ये उसी की फ़ोटो है’ उसकी प्रोफाइल देखकर मैंने कहा। हल्के पीले रंग का टॉप और लाल रंग की जीन्स में वह कमाल लग रही थी। उसपे वो खुले हुए बाल जो दाहिनी तरफ से चेहरे के आगे आ रहे थे और बाएं तरफ से उसने उनको कान के पीछे किया हुआ था। मैंने बिना देर किये ‘सेंट रिक्वेस्ट’ की बटन पर क्लिक कर दिया।
‘दो दिन बाद’

मैं रोज की तरह बिस्तर पर पड़ा हुआ टी.बी. देख रहा था कि तभी फोन से नोटिफिकेशन की आवाज आई। मैंने बिना देर किए खोलकर देखा ‘रिया शर्मा एक्सेप्टेड योर फ्रेंड रिक्वेस्ट’ लिखा था उसपे। मेरी तो खुशी का मानो कोई ठिकाना ही नहीं रहा। मैंने तुरंत एक संदेश लिखा ‘हाय” और सेंड कर दिया।
‘हे’ उधर से जवाब आया।
18 जुलाई 2017

“भाई रवि बता ना क्या पहनू?” मैंने रवि से पूछा।
आज मैं और रिया मिलने वाले थे। बहुत मिन्नतों के बाद वो मिलने को तैयार हुई थी, और मैं नहीं चाहता था कि ये मुलाकात उसपर कोई खास इम्प्रेशन ना डाल पाए। जिसके लिये मुझे एकदम जेंटलमैन बनकर जाना था और इस काम के लिए रवि भाई से अच्छा सुझाव – कि क्या पहनें? कैसे बात करें? मिलने पर क्या बोलें? बाल किस तरह रखें? वगेरह-वगेरह कोई नहीं दे सकता था।
“तू ये काल सूट पहन और साथ मे टाई लगा ले, और बालों को साइड से अच्छे से सेट कर,” उसने कहा।
“ठीक है,” कहते हुए मैंने सूट निकाला और पहनने लगा।
                                                           ◆
“हेलो, कहाँ हो मैं इंतज़ार कर रहा हूँ,” मैं GIP  मॉल के गेट पर उसका इंतजार कर रहा था। हमारा पहले मूवी फिर डिनर का प्लान था। मैं समय पर पहुँच गया था पर वह लेट थी और मैं बार-बार उससे जल्दी आने को बोल रहा था। कल रात में जब मिलना कंफर्म हुआ तब बहुत झिझकने के बाद उसने मुझे अपना नंबर दिया। वैसे कोई भी लड़की होती तो वो भी नंबर देने में इतना ही झिझकती।
“बस मेट्रो स्टेशन के बाहर निकल रही हूँ, 2 मिनट दो मुझे,” कहर उसने फोन रख दिया।
पूरे 12 मिनट बाद मुझे वह रोड के दूसरी तरफ से आते हुए दिखी। पास आने तक मैं उसे यूँ ही निहारता रहा। उसने काले रंग की एक हल्की चमकदार बॉडीकॉन ड्रेस पहन रखी थी जो उसके घुटनो के ऊपर खत्म ही रही थी। आज भी बाल खुले हुए थे और हमेशा की  तरह आँखों मे हल्का सा काजल, जो उसकी सुंदरता को बढ़ा रहा था। काला रंग उसपर बहुत जांच रहा था। उस समय तो मैं उसकी आँखों मे पूरी तरह खोना चाहता था, हाँ पूरी तरह।
“जल्दी चलो अंदर, मूवी निकल जाएगी,” आते ही उसने कहा। ना हाय, ना हाथ मिलाना, न गले लगाना, कुछ भी नहीं। ये लड़की आखिर है क्या?
“क्यों आ रहे हो या मैं अकेले देख लूँ?” कहकर वो अंदर जाने लगी। मैं भी बिना कुछ बोले उसके पीछे-पीछे जाने लगा। पूरी फ़िल्म देखने के दौरान उसने एक शब्द तक नहीं बोला, उसका पूरा ध्यान फ़िल्म में था और मेरा उसपर। मैं बस उसे देख रहा था और उसके कुछ कहने का इंतज़ार कर रहा था। मेरा संयम मेरा साथ छोड़ कर जा रहा था और यह सब मेरे बर्दाश्त के बाहर था। फिर भी मैंने किसी तरह खुद को संभाले रखा।
“अच्छी फिल्म थी ना,” उसने ऑडी से बाहर आते हुए पूछा। चलो उसने कुछ कहा तो कम से कम। ‘हाँ’ कहकर मैंने हल्का सा मुस्कुरा दिया।

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“क्या खाना पसंद करेंगी आप?” मैंने फ़ूड कोर्ट की तरफ इशारा करते हुए कहा।
“बुरा मत मानना पर मैं घर से खाना खाकर आई हूँ और बिल्कुल भी भूख नही है, मूवी में भी कोक पी लिया था,” उसने कहा।उसने तो हद ही कर दी थी। जब डिनर का प्लान था तो खाना खाकर क्यों आई? और शाम को खाना खाकर कौन आता है? वो झूट बोल रही थी। मेरे साबर का बाँध टूट चुका था। ‘ठीक है’ मैंने कहा और बाहर की तरफ चल दिया। मैं जितना सह सकता था सह चुका था पर अब और नहीं।
“अरे कहाँ जा रहे हो?” उसने पीछे से आवाज लगाई। मैं बिना उत्तर दिए ही वहाँ से निकल गया। वो भी मेरे पीछे नहीं आई।
25 जुलाई 2017

‘किसलिए फोन किया है? मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी,’ रिया ने कहा।
उस दिन की घटना के बाद हमारी कोई बात नहीं हुई थी , पर अब मुझसे नहीं रहा गया तो मैंने उसे फोन लगाया था।
“मेरी बात तो सुनो, उस दिन के लिए माफ कर दो,” मैंने धीमे स्वर में कहा।
“मुझे उस लड़के से कोई बात नहीं करनी जो एक लड़की को खुद बुलाकर कहीं पर अकेला छोड़ आये,” उसकी आवाज में गुस्सा झलक रहा था।
‘अब से नहीं होगा कभी ऐसा’
“अब से मौका ही नहीं मिलेगा, ना मैं मिलूंगी ना बात होगी”
मुझे लगा कि अब बोल देना चाहिए नही तो देर हो जाएगी। हाँ मुझे प्यार का इज़हार करना था वो भी अभी इसी वक्त।
“मैं नहीं करूँगा ना अब ऐसा,” मैंने शांत स्वर में कहा।
“मुझे कुछ नहीं…”
“मैं तुमसे प्यार करता हूँ” मैंने उसकी बात बीच में ही काटकर कह दिया।
“क्या?” उसने आश्चर्यचकित होकर पूँछा।
“मैं तुमसे प्यार करता हूँ और क्या,” मैंने कहा।
“मैं बाद में बात करती हूँ तुमसे”
“फोन मत रखना,” मैंने तेज आवाज में कहा।
“तुम बात नही समझ रहे,” उसने कहा।
“तुमने कुछ बोला ही कहाँ?”
“मैं ऐसा कुछ नहीं सोचती तुम्हारे बारे में, मैं किसी और के साथ हूँ और उससे बहुत प्यार करती हूँ,” उसने एक अलग ही चिढ़चिढ़ेपन के साथ कहा।
“तुम झूट बोल रही हो,” मैं खीझ रहा था।
“तुमसे झूट बोलकर मुझे क्या मिलेगा?”
“मैं नहीं मानता”
“मैं तुम्हे मिलवा दूँगी,” कहकर उसने फोन काट दिया।मेरे दिमाग मे अभी भी उसकी वो बात ‘मैं किसी और के साथ हूँ और उससे बहुत प्यार करती हूँ’ गूँज रही थी। मैं उसपर विश्वास नहीं कर पा रहा था। वो सिर्फ मेरी थी। हमारे बीच कोई आ जाये इसका तो मैं सपना भी नहीं देख सकता था। मेरा प्यार पवित्र था और मैं उसको पाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार था। वो सिर्फ मेरा प्यार नहीं मेरी ज़िद भी है और जब तक मैं अपनी जिद पूरी करके अपने प्यार को नहीं पा लूँगा मेरी ज़िंदगी पहले जैसी नहीं रहेगी। वो मुझे उस लड़के से मिलवायेगी और मैं उस लड़के को अच्छे से समझ दूँगा कि कोई भी मेरे से ज्यादा और मेरी तरह उससे प्यार नहीं कर सकता। बस वही मौका होगा मेरे पास रिया को अपना बनाने का और उस मौके को मैं हाथ से नहीं जाने दूँगा।
                                                              ◆
‘हाँ मैं जानता हूँ कि मैं गलत कर रहा हूँ,’ मैंने खीझ कर रवि से कहा।
‘पर तुम कोई और भी तरीका अपना सकते हो,’ वो अभी भी शांत भाव में था।
‘नहीं, मैं यही करूंगा’ मेरा चिढ़चिढ़ापन बरकरार था।
‘ठीक है, जैसा तुम चाहो,’ कहते हुए वह मेरे कमरे से चला गया।
मैंने एक निर्णय किया था कि अगर वो लड़का मेरी बात नहीं समझेगा तो मैं उसे रास्ते से हटा दूँगा। चाहे उसके लिए मुझे उसके हाथ-पैर तुड़वाने पड़ें या फिर उसको जान से मरवाना पड़े, मैं पीछे नहीं हटूँगा। इसी की व्यवस्था और जिस जगह वो मुझे उस लड़के से मिलवायेगी वहाँ पर कितने लड़के और किस-किस को ले जाना है और उनको कैसे कहाँ छिपकर खड़े होना है, मेरे किस इशारे पर उन्हें हमला करना है। ये सारा प्लान मैं रवि को सुना रहा था जो उसे बिल्कुल पसंद नहीं आया।
‘उसका प्यार नहीं पा पाओगे तुम ऐसे, और किसी और की जान लेकर तुम अपनी ज़िंदगी पाना चाहते हो इससे घटिया सोच नहीं हो सकती’ रवि के शब्द बहुत कड़वे थे पर सच्चाई से भरे हुए भी। लेकिन मुझे कुछ भी सही नहीं लग रहा था अपने निर्णय के अलावा, और जब मैंने रवि की बात नही मानी तो वो चला गया।
मुझे इंतज़ार था अब उस दिन का जब रिया मुझे उस लड़के से मिलवाने वाली थी और उस पल का भी कि वो लड़का सिर्फ मेरी बातों  से ही मानेगा या फिर मुझे अपना बनाया गया प्लान भी प्रयोग में लाना होगा।
जारी रहेगी…

Rishabh Badal