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LOVE EPISODE #4 MY ONLY LOVE IS YOU

 सिद्धार्थ उठ यार,’ पटेल ने मुझे उठाने के लिए चिल्ला कर कहा |
गर्मी की छुट्टियां चल रही थी और मैं उनका पूरा आनंद उठा रहा था | खाना, सोना और खेलना बस यही तीन महत्वपूर्ण कार्य थे जो मैं छुट्टियों में करता था । जब पटेल मेरे घर आएगा तब मैं अपने सबसे महत्वपूर्ण कार्य में से एक कार्य कर रहा था “सोने का ।”
‘ क्या हुआ भाई सोने दे,’ मैने अपनी आंखें खोलते हुए धीरे से कहा ।
‘साले शाम के 5 बज रहे , शर्म कर,’ उसने मुझे बिस्तर से नीचे खींचते हुए कहा ।
‘हां भाई उठ रहा मुझे छोड़ पहले ,’ मैंने अपने आप को उसकी पकड़ से छुड़ाते हुए कहा ।
जब आप अपनी नींद के परमानंद में खोए हुए हो ,और तभी कोई आपकी नींद खराब करे उस समय ऐसा मन होता है कि आप उच्च न्यायालय के जज हो और उसको उसके घिनोने कार्य के लिए फांसी की सजा सुना दो । मजबूरन ये भी आप  सिर्फ सपनों में ही कर सकते हो ।
‘ हां ठीक है जल्दी मुंह धो कर आओ,’ पटेल ने कहा ।
‘ हां भाई जा रहा ,’ मैंने कहा और मुंह धोने चला गया ।

                                   ◆

‘ भाई ले कहाँ जा रहे मुझे ?,’ मैंने उससे पूछा ।
हम घर से निकलकर अंबेडकर पार्क की ओर बढ़ रहे थे ।  पटेल बहुत खुश दिख रहा था और मैं भी इस बात को जानने के लिए उत्सुक हो रहा था कि हम कहां जा रहे ।’ दिव्या से मिलने,’ पटेल ने खीसें  निपोरते हुए कहा ।
मैंने उसकी तरफ देखा और कहा ‘यह कौन है बे ? मतलब सब होने के बाद मिलवा रहा!!’
‘नहीं यार अभी तो दोस्त है , लेकिन कुछ दिन बाद तेरी भाभी होगी,’  पटेल ने कहा और फिर अपने दांतो की सुंदरता मेरे सामने पेश कर दी ।उसकी वह मुस्कान देखकर तो मैं अपने मन में ही दिव्या की कल्पना करने लगा । क्या सच में वह बहुत सुंदर होगी ?  उससे मिलने पर क्या बात करूंगा ? अरे वह दिखती कैसी है यार कोई तो चेहरा उभरकर आओ मेरे दिमाग में !’ भाई कहाँ खो गए ?,’ पटेल ने मुझे मेरे दिमाग में उलझे हुए सवालों से बाहर निकाला ।
‘ कहीं नहीं यार , बस ये बता चलना कहाँ तक है ?,’ मैने पूछा ।
‘बस भाई पहुँचने वाले हैं , वह जो उस तरफ पार्क है , ना छोटा वाला वही b.b.d. के सामने , उसी के पास,’ उस ने जवाब दिया ।
मैंने उसकी तरफ देखा फिर हम अपने गंतव्य की ओर चल दिए ।                             

     ◆    

   ‘भाई कहां है वो ?,’ मैंने पटेल से पूछा ।
हम उस पार्क के पास खड़े थे जहां पर दिव्या मिलने वाली थी । पर बहुत देर इंतजार करने के बाद भी वो नहीं आई तब मैंने पटेल से पूछा । मेरे अंदर का दूसरा सिद्धार्थ उसे देखने के लिए बेहद उत्सुक था । कि तभी पटेल ने कुछ कहा और मेरे पूरे शरीर में अजीब सी हलचल हुई ।’ वो देख आ गयी।,’ पटेल ने कहा ।
‘ कहाँ ?’
‘ अरे वो देख , साइकिल से आ रही ।’
‘ वही है ? सच में !! ‘
‘ हाँ बे ।’
‘ यकीन नहीं हो रहा ।’
‘ क्यों ?’
‘ अबे क्या लग रही है वो !!’
‘ क्या ?,’ इस बार पटेल ने एक तीखी मुस्कान के साथ मेरी तरफ देखा । तो मैं शांत हो गया ।  मैंने शांत रहना ही ठीक समझा उन हालात के हिसाब से जहां मैं खड़ा था । और दिव्या धीरे-धीरे हमारी ओर बढ़ रही थी ।वह साइकिल में पैडल मार रही थी और पीछे बैठी सहेली से कुछ बात करते हुए हंस रही थी । उसने सफेद शार्ट  शर्ट और नीली कैफ्री पहनी थी । उसके बाल खुले हुए थे जो हवा में पीछे की ओर उड़ रहे थे । मैं कल्पना कर रहा था कि साइकिल के करियर पर मैं बैठा हुआ हूं और उसके उड़ते हुए बाल मेरे चेहरे को प्यार से छू रहे हैं और उनकी खुशबू मुझे सम्मोहित कर रही है ।  तभी एक प्यारी सी आवाज ने मेरे ख्यालों में विघ्न डालते हुए होश में लाया ।’ हाय सिद्धार्थ ,’ दिव्या ने कहा ।
पटेल ने मेरा परिचय कब करवाया ? मैं जब ख्यालों में खोया था तब ।  अरे यह तो बेवकूफी हो गई , वह क्या सोच रही होगी अब मेरे बारे में ?  मुझे किसी से मिलना भी नहीं आता ! क्या करूं ?
‘ अबे सिद्धार्थ फिर खो गया ?,’ पटेल ने कहा ।
‘ न…न… नहीं , यहीं हूँ ।,’ मेने हकलाते हुए कहा ।
‘ हाय ,’ दिव्या ने फिर कहा ।
‘ हाँ हाय ,’ मैने उत्तर दिया ।
‘ हे चलो थोडा आगे चलते हैं यहां ठीक नहीं है मिलना ।,’ दिव्या ने कहा ।
‘ हाँ तुम लोग साइकिल से आगे – आगे चलो हम लोग आये हैं पीछे से ।,’ पटेल ने कहा ।
वो दोनों आगे बढ़ गयीं । मैं और पटेल उनके पीछे – पीछे पैदल चल दिए ।’ अबे कहाँ मिली तुझे ये ?,’ मैने पटेल से कहा ।
‘ बस मिल गयी , अच्छी है ना ?,’ पटेल ने पूछा ।
‘ भाई कमाल है कमाल ।,’ मैने अपने दांत दिखा दिए ।
‘ साले कमीने भाभी है तेरी वो ।,’ पटेल ने कहा ।
‘यार तो मैने कुछ कहा क्या ?’
‘ नहीं पर तेरा भरोसा नहीं ।’
‘ अरे कुछ नहीं करूँगा ।’
‘ पक्का ना ?’
‘ हाँ पक्का , अब चुप हो जा वो दोनों सुन लेंगी ।,’ मैने कहा ।                         

        ◆    

 ‘ तुम्हे आइसक्रीम खानी है ? पटेल खिलायेगा ।,’ मैने कहा ।
हम लोग एक चौराहे के पास खड़े थे वहां पर आइसक्रीम वाले अपनी अपनी कंपनी की आइसक्रीम का ठेला लगाए हुए थे । वो आइसक्रीम की कंपनी के मालिक नहीं थे । लेकिन उन ठेलों के हिसाब से वो मालिक ही लगते हैं । हम खड़े होकर बात ही कर रहे थे तभी दिव्या ने कहा कि उसको आइसक्रीम खानी है ।
‘ अरे यार अभी नहीं बाद में ।,’ पटेल ने कहा ।
‘ तुम रहने दो यार दिव्या को झुकाम लग रहा । आइसक्रीम खिलाकर और ना  कर ।,’ मैने कहा और खीसें निपोर दीं ।
‘ साले तुम्ही ने तो बोला था कि खिलाओ उसे ।’
‘ अबे जा कुएँ में कूद जा ।’
‘ चुप हो जाओ दोनों ।,’ दिव्या ने कहा । और हम अनुशासित छात्रों की तरह एकदम शांत हो गए ।
चलो पापा का फोन आ रहा , हम लोग कल मिलेंगे ।,’ दिव्या ने कहा ।
‘ हाँ ठीक है यहीं पर और पटेल आइसक्रीम खिलायेगा ।,’ मैने कहा । फिर हम सब हस दिए ।
तभी मेरी नजर उसकी सहेली की तरफ गयी ,  जिस की तरफ किसी ने भी ध्यान नहीं दिया था । किरण की तरफ । ‘तुम भी आ जाना कल , आज की तरह कल तुम्हें हम भूलेंगे नहीं ‘, मैंने कहा । हम सब फिर हस दिए और दिव्या ने साइकिल के पैडल पर लात मारते हुए हमें बाय किया और चली गई ।’ भाई अगर तुझसे कुछ ना हो तो मैं इसे अपनी गर्लफ्रेंड बना लूँ ?,’ मैने कहा ।
‘ साले मुझे लाना ही नहीं चाहिए था तुझे ।,’ पटेल ने गुस्से में कहा ।
‘ अरे मज़ाक कर रहा यार ।,’ मैने कहा ।
‘ हाँ सोचना भी मत ।’
‘ ठीक है, घर चल ।,’ मैने कहा ।            

                    ◆        


‘ यार दिव्या को फोन लगा , मेरा उठा नहीं रही वो ।,’ पटेल ने कहा ।हम रात में फिर मिले थे । उन दोनों में कोई झगड़ा हुआ था शायद । और यह मौका मैं हाथ से कैसे जाने देता ।  मैंने भी तुरंत अपना फोन दिया और नंबर लगाने को कहा ।  उसने दिव्या को फोन लगाया और थोड़ी देर बात करके फोन काट दिया । उसके फोन काटते ही  मैंने उससे फोन ले लिया । वह कुछ बोला नहीं और उठ कर चला गया । मेरे लिए तो ये खुशी का पल था । बस यह सोचना बाकी था की बात कैसे शुरु की जाए !मैंने फोन उठाया और संदेश लिखा ‘ हाय ‘ । फिर मैंने उसको डिलीट कर दिया । मैंने सोचा इस तरह संदेश भेजना ठीक नहीं होगा कोई और उपाय सोचना होगा ।
तभी मेरे शैतानी दिमाग ने एक उपाय सोच लिया । मैंने फोन उठाया और दिव्या को लगाया एक घंटी जाते ही मैंने उसे काट दिया और संदेश भेज दिया ‘ माफ करना गलती से फोन हुआ ।’ 10 मिनट इंतजार करने के बाद उसका  उत्तर आया – “कौन?”‘ अरे ! मैं पटेल के साथ मिलने आया था ।’
‘ अच्छा सिद्धार्थ !!’
‘ हाँ मैं ।’अब उसका उत्तर नहीं आया । मैं परेशान हो गया । कहीं वो पटेल को फोन करके तो नहीं बता रही कि मैने उसको सन्देश भेजा । मैने सोचा फोन करके देखता हूँ।  मैं नंबर मिलाने जा रहा था कि तभी मेरे फ़ोन ने बीप आवाज निकली । ये तो दिव्या का उत्तर आया था । मैने बिना देर किये उसको खोला ।’ माफ़ करना , मम्मी ने बुला लिया था । तो शाम को पटेल ने तुम्हारे नंबर से फोन किया था ?’
‘ हाँ , तुम लोगों का कोई झगड़ा हुआ क्या ?’
‘ अरे नहीं वो सब तो चलता रहता है ।’
‘ वो तुम्हे पसंद करता है ।’
हाँ मुझे ये सन्देश नहीं भेजना चाहिये था , लेकिन उसके मन में पटेल के लिए क्या है ये जानने के लिए बस यही उपाय था ।
‘ क्या बोल रहे ? सच में क्या ?’
उसका ये उत्तर देखकर मैं डर गया । क्या वो भी उसे पसंद करती है!! क्या उसे ये जानकार ख़ुशी हुई? अरे ऐसा नहीं हो सकता ।
‘ हाँ ।’ मेने सन्देश भेजा ।
‘ अरे पागल हो , वो दोस्त ही ठीक है उससे प्यार नहीं करना । शकल देखी है उसकी 😀 ।’ ऐसा मत बोलो दोस्त है मेरा , इतना अच्छा तो है । ‘
मैने कह तो दिया । पर अंदर ही अंदर अब मैं बहुत खुश था । नहीं ऐसा नहीं कि मैं पटेल की बुराई पर खुश था , वो बात तो गलत थी । लेकिन अच्छा ये था की वो पटेल को पसंद नहीं करती थी ।’ अच्छा ठीक है पर मुझसे अब उसकी बात मत करो ।,’ उसका उत्तर आया ।
‘ ठीक है ।,’ मेने भी ख़ुशी – ख़ुशी सन्देश भेजा ।
‘ कल बात करें ? खाना खाने जा रही हूँ ।’
‘ हाँ ठीक है , बॉय गुड़ नाईट !’
‘ गुड़ नाईट , और हाँ कल जब मिलने आना तब सोते हुए मत आ जाना । 🙂  ,’ उसका उत्तर आया ।अरे हाँ ! मै  तो सही से मुँह भी धोकर नहीं गया था । पटेल को घर पर ही बताना चाहिए था की लड़की से मिलवाने जा रहा है । बेइज़्ज़ती करवा दी साले ने । चलो कल सही से तयार हो कर जाऊंगा ।’ ठीक है । 🙂 🙂 🙂 🙂 ।,’ मेने सन्देश भेजा ।मुझे नहीं पता कि इतनी सारी इसमाइलीज भेजने से कुछ होगा । लेकिन कम से कम उसको पता चल गया होगा की उससे बात करके मैं खुश हूँ ।

       ◆
‘ बीप बीप बीप बीप ‘ मेरा फ़ोन बजा । मोबाइल पे दिव्या का नाम दिख रहा था ।
‘ हेलो ‘
‘ मेरे घर आओ अभी ,’ उधर से आवाज आई ।
‘ अभी इतनी धुप में ?’
‘ हाँ अभी ‘
‘ ठीक है आता हूँ ।,’ कहकर मैंने फोन काट दिया ।
ये लड़कियां भी ना कोई भरोसा नहीं है इनका की कब क्या कर दें और कब क्या करवा दें ।  मैंने बिस्तर से उठकर मुँह धोया और  घर से बाहर निकला ।
बाहर सूरज अपनी आग पूरे जोर – शोर के साथ उगल रहा था । एक पल को तो मुझे लगा जैसे दिव्या के घर पहुंचने से पहले ही मैं इस आग में जलकर राख हो जाऊंगा । मगर आप लड़की के लिए इतना भी नहीं कर सकते तो आप हमेशा अकेले रहने के लिए तैयार रहिए । मैं अपने कदम जल्दी-जल्दी बढ़ा रहा था ,  जिससे मैं इस आग से बच के जल्दी से दिव्या के घर पहुंच सकूँ ।                                 

” जल्दी दरवाजा खोलो ,” मैने सन्देश भेजा । मैं उसके घर के बाहर खड़ा था । गर्मी बहुत तेज थी और मुझे प्यास भी  बहुत तेज लगी हुई थी पर इन सबसे बढ़कर इस बात का डर था कि कोई जान – पहचान वाला मुझे यहां ना देख ले। इन लोगों को चुगली करने के अलावा कोई दूसरा काम तो होता नहीं है , बस मौका ढूंढते हैं कि कब कोई ऐसा काम कर दे कि बस दुनिया भर में ढिंढोरा पीटने को मिल जाए ।
” हाँ बस आ गयी 🙂 ,” उसका उत्तर आया । मैं संदेश पढ़ ही रहा था कि किसी ने दरवाजा खोला । हल्के पीले रंग की टॉप और नीला जींस , उस पर खुले हुए वो बाल जो  गर्म हवा से उड़कर उसके चेहरे पर आ रहे थे और एक हल्की सी मुस्कान जो उस दृश्य  की सुंदरता को और बढ़ा रही थी । यह सब देखकर मैं जान पहचान वालों का डर , आग उगलती धूप और अपनी प्यास सब कुछ भूल गया । मैं बस वहां खड़े होकर ऐसे ही उसको निहारना  चाहता था , और मैं अपना यह काम बखूबी कर रहा था । ” अब अंदर भी आओगे या वहीं रहने का इरादा है ?,” उसकी आवाज मेरे कानो में पड़ी और मुझे एहसास हुआ कि ये काम मैं अंदर जाकर भी कर सकता हूँ , आराम से बैठकर पानी पीते हुए । मैं कुछ बोला नहीं , हल्की सी मुस्कान दी और अंदर चला गया ।                             

        ◆
” चाय या कॉफी ?,” उसने मुझसे पूछा ।
” केवल पानी ,” मैने खीसें निपोरते हुए कहा ।
हम उसके कमरे में थे , मैं बेड पर बैठा हुआ था और वह मेरे सामने खड़ी हुई मुझसे बात कर रही थी ।
“ठीक है मैं पानी लेकर आती हूं ,” उसने कहा और कमरे से चली गई । मैं उसका कमरा देखने लगा वहां उसकी बहुत सी तस्वीरें थी जो उसके कमरे को खूबसूरत बनाने में लगी हुई थी । मैं हर एक तस्वीर को ध्यान से देख रहा था , मुझे ऐसा लग रहा था मानो हर तस्वीर मुझसे कुछ कहना चाहती है , मैं उन तस्वीरों की हर बात सुनना चाहता था , फिर अचानक मुझे उसकी एक तस्वीर देखते हुए एहसास हुआ , जैसे वह मुझे अपने पास बुला रही है , मैं उसकी सुंदरता में खोया हुआ था और वह हल्की सी मुस्कान के साथ मुझसे कुछ बोल रही थी या शायद बोलना चाहती थी । मैंने उस तस्वीर को दीवार से उतार लिया और अपने हाथों में लेकर उसे देखने लगा कि तभी पीछे से मुझे दिव्या ने आवाज़ दी और मेरा उस तस्वीर के साथ सम्मोहन नष्ट हो गया ।” ऐसे क्या देख रहे हो वो मैं ही हूँ , खैर छोड़ो ये लो तुम्हारा पानी ,” उसने कहते हुए मेरे हाथ से तस्वीर ली और पानी का गिलास आगे बढ़ाया ।
” शुक्रिया ,” बोलकर मैने गिलास लिया और पानी पीते हुए बिस्तर पर बैठ गया ।
” क्या मैं भी बैठ सकती हूँ ?”
” अरे आओ बेठो , तुम्हारा ही कमरा है ,” मैने कहा , और हम दोनों जोर – जोर से हँसने लगे ।
” मैं कुछ पूछूँ  ?,”  उसने कहा ।
” हाँ बिल्कुल “
” तुम इतनी धूप में , इतनी दूर पैदल चलकर केवल मुझसे मिलने आए मुझे अच्छा लगा । लेकिन तुम एक बार बुलाने पर ही कैसे आ गए ? हम तो एक ही बार मिले हैं , इतनी अच्छी दोस्ती भी नहीं हुई फिर भी ?,”  उसने अपनी बात खत्म की । मैं उसे बहुत ध्यान से सुन और देख रहा था , वह बहुत गंभीर लग रही थी और ऐसा लग रहा था जैसे वह इन सवालों के जवाब लिए बिना नहीं मानेगी । अब मैं समझ नहीं पा रहा था कि क्या बोलूं ! यह बता दूं कि मैं उसे पसंद करता हूं या यह बता दूं कि उसकी जगह कोई और लड़की होती  तब भी चला आता । लेकिन यह दोनों जवाब देना उचित नहीं था इसलिए मैंने खुद ही उससे एक सवाल पूछ लिया – “हम ज्यादा अच्छे दोस्त नहीं हैं और केवल एक बार मिले हैं , तो फिर तुमने इस समय जब घर पर कोई नहीं है मुझे क्यों बुलाया ? क्या इतना भरोसा है मुझ पर? “” हाँ है,” उसने उसी गंभीर स्वरुप में उत्तर दिया और फिर मुझे देखने लगी । वो अपनी पलकें भी नहीं झपका रही थी । जिस लड़की को मैं अब तक सबसे प्यारा समझता आ रहा था , अब वो ही मुझे अजीब सा डर दे रही थी , और मुझसे अपने सवालों के जवाब मांग रही थी ।
” हाँ तुम मुझे अच्छी लगती हो और पहली ही नज़र में तुम मुझे पसंद आ गयी थी । मैं तुमसे मिलने का कोई भी मौका छोड़ना नहीं चाहता था बस इसीलिये चला आया ।,” मैने जवाब दिया और एक लंबी साँस ली । मैं उसको देख रहा था , अब उसके चेहरे पर हलकी – हलकी मुस्कान आ रही थी  , जिसको वो छिपाने की कोशिश कर रही थी ।
” तो तुमने पहले क्यों नहीं बताया ?,” उसने पूछा ।
” क्या बताता ? अभी अच्छे से जाना भी नहीं है एक – दूसरे को और सीधे बोल देता कि तुमको पसंद करता हूं ,  चप्पल नहीं खानी थी ,” मैंने कहा,  फिर हम दोनों हंसने लगे । अचानक वो एकदम शांत हो गई । “लगता है मां के आने का समय हो गया है,  तुम अब जाओ हम शाम को मिलेंगे ,” उसने बोला और मेरे सीने से लग गई ।  मुझे कुछ अजीब सा महसूस हुआ फिर भी मैं खुद को रोक नहीं पाया और प्यार से उसके बालों को सहलाने लगा । हम यह पल खोना नहीं चाहते थे , मैं तो बिल्कुल भी नहीं लेकिन फिर वो  उठकर खड़ी हो गई  और बोलने लगी ” जल्दी चलो हम शाम को मिलेंगे पक्का ।”
” अच्छा – अच्छा ठीक है,” मैंने कहा और खड़ा हो गया । मैं  दरवाजे की तरफ बढ़ने लगा और वह मेरे पीछे – पीछे आने लगी जैसे ही मैं उसके कमरे से बाहर निकला उसने अपना कमरा अंदर से बंद कर लिया । मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है । मैने सोचा उससे पुछु कि ये  सब क्या है , पर  मेरे दिल ने बोला शाम को मिलोगे तो सब पूछ लेना और मैं बिना कुछ बोले अपने घर की तरफ चल दिया ।                            

         ◆

” तो तुम मुझे पसंद करते हो ?,” दिव्या ने मुझसे पूछा ।
हम उसी दिन शाम को दुबारा मिले और घर से थोड़ी दूर एक सड़क के किनारे पेड़ के नीचे बैठे हुए थे । अंधेरा हो चुका था और चांद उस दिन अपनी पूरी चांदनी दिव्या के चेहरे पर बिखेर रहा था । मैं उस चांदनी भरे चेहरे को अपने हाथों में पकड़कर जी भर कर प्यार से देखना चाहता था । मेरी नजरें  उसके चेहरे को बिना पलक झपकाए देखे जा रही थी । आज दोपहर में जो भी हुआ था मैं सब भूल चुका था अब मैं बस उस में खोना चाहता था , मैं अपना यह काम बखूबी कर भी रहा था । फिर मैने उसे एक टक देखते हुए धीरे और प्यारे स्वर में जवाब दिया – “हां मैं तुमको पसंद करता हूं ,  पसंद नहीं बल्कि बहुत ज्यादा प्यार करता हूं मानता हूं हम ज्यादा मिले नहीं ना ही ज्यादा बात हुई ,  पर भरोसा करो मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं ।,” मैं अभी भी उसको देख रहा था  । रात और गहराती जा रही थी ।
” भरोसा मुझे कितना है तुम्हारे ऊपर इस बात का जवाब तुम्हे मिल चूका है आज दोपहर में , और जितना प्यार तुम मुझसे करते हो उससे कहीं ज्यादा मैं तुमसे करती हूँ । मैं सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लिए यहाँ आई हूँ  , क्योंकि मुझे भरोसा था कि तुम मेरा दिल नहीं तोड़ोगे । मैं तुमसे प्यार करती हूँ यही बताने के लिए मैने तुम्हे अपने घर बुलाया था , पर मेरे कुछ बोलने से पहले ही तुमने बोल दिया ,” कहते हुए वो मेरे करीब आ गयी और मेरे हाथों की उंगलिओ के बीच में अपनी उँगलियाँ फसा लीं । हम एक दूसरे की आँखों में देखे जा रहे थे और उसकी आँखों से आंसू गिर रहे थे । हम एक – दूसरे के करीब होते जा रहे थे बहुत ज्यादा करीब …
तभी मुझे महसूस हुआ कि दिव्या के हाथ बहुत ज्यादा ठंडे है । मैंने एक हाथ से उसका माथा छुआ वह भी बहुत ठंडा था । “तुम इतनी ठंडी क्यों हो , वो भी इस गर्मी के मौसम में ?,” मैंने उससे पूछा ।
” कुछ नहीं मैं ऐसी ही हूं  , तुम क्या बात लेकर बैठ गए हो इस समय पर पास आओ ,” उसने कहा और मेरे कंधों पर अपने दोनों हाथ रख दिए ।
मेरी सांसे तेज हो रही थी पर उसकी सांसे मुझे महसूस नहीं हो रही थी । सुबह से सब अजीब – अजीब हरकते हो रही थी । रात बहुत ज्यादा हो चुकी  थी , चारों तरफ हल्की हल्की चांदनी के अलावा कोई रौशनी नहीं थी । हम दोनो एक दूसरे में समाए जा रहे थे , तभी मैं रुका और प्यार से उसके माथे पर किस करते हुए उस से कहा “अब तुम घर जाओ बहुत रात हो गई है ।”
“लेकिन हमने तो अभी तक अपने लव नहीं मिलाये , हमारे प्यार की शुरुआत ही नहीं हुई है ,” उसने उदास स्वर में कहा ।
” हम कल दिन के उजाले में अपने प्यार की शुरुआत करेंगे ,” मैने हल्का सा मुस्कुराकर जवाब दिया ।
” नहीं मुझे दिन नहीं पसंद हम रात को ही मिलेंगे ,” उसने मुह नीचे करके धीरे से बोला ।
” अच्छा ठीक है हम कल शाम को मिलकर अपने प्यार की शुरुआत करेंगे ,” कहकर मैने उसे गले लगा लिया ।वह मेरे सीने से लगी हुई थी , ऐसा लग रहा था मानो उसे मुझसे दूर जाना ही नहीं है । “लेकिन अगर मैं 10 मिनट और रुका तो मेरे घर से फोन आ जाएगा ,” मेरे दिमाग में विचार आया । “सुनो चलो घर चलें देर हो रही है ,” मैंने उससे कहा ।
” तुम मुझे सच में प्यार करते हो ना तो कल शाम को जरूर आना मिलने , यहीं पर और हम साथ में ऐसी जगह चलेंगे जहां हम दोनों के अलावा कोई नहीं होगा ,” उसने मेरे सीने में अपने मुंह को छुपाए हुए कहा ।
“हां ठीक है पक्का , अब घर चलें ?,” मैंने उससे दूर होते हुए कहा ।
” ठीक है ,” उसने कहा ।
हम दोनों अपने – अपने घर चल दिए ।                          

         ◆

” पटेल तुम मेरे घर पर इस समय !,” मैने उससे पूछा ।मैं दिव्या से मिलकर अपने घर पहुंचा था । घर के दरवाजे पर  पटेल मिल गया ,  इतनी रात में पटेल कभी मेरे घर नहीं आता था , जिससे मैं उसे घर पर देखकर हैरान हो गया ।
“हां कुछ जरूरी बात करनी है ,” उसने गंभीरता से कहा ।
” बोलो “
“यहां नहीं थोड़ा आगे चलो “
“ठीक है ,” मैंने कहा और हम मेरे घर से पांच सौ मीटर दूर एक पार्क में आकर किनारे खाली पड़ी बेंच पर बैठ गए ।
” अब तो बताओ क्या बात है ?,” मैने पूछा ।
” यार सब बर्बाद हो गया , सब ख़त्म हो गया ,” पटेल न कहा ।
” अरे लेकिन हुआ क्या ?,” मैं समझ नहीं पा रहा था कि आखिर ऐसा क्या हो गया जो इस समय ऐसे अकेले में बताने आया , और वो भी इतना परेशान लग रहा ।
” कल जब हम दिव्या से मिलकर घर आए । फिर मेरा उससे झगड़ा हुआ और मैंने तुम्हारे फोन से उससे बात की थी ।  रात में फिर हमने बात की तब वो घर के बाहर थी , बात करते समय एक ट्रक ने उसको टक्कर मार दी जिससे वह ट्रक के पहिए के नीचे आ गई , और ट्रक चालक ने जल्दी में भागने के चक्कर में ट्रक को उसके ऊपर से चढ़ा कर निकाल दिया और उस की मौके पर ही मौत हो गई ,” उसने रुंधी हुई आवाज में नीचे की ओर देखते हुए अपनी बात खत्म की ।
यह सुनकर मैं सन्न रह गया मुझे उसकी बात पर विश्वास नहीं हो रहा था । यह कैसे हो सकता है ?दिव्या मरी नहीं है , मैं दोपहर में उसके घर पर उससे मिला ,  अभी शाम को  हम फिर मिले ।  वह मुझसे प्यार करती है और हमने कल मिलने का वादा किया हैं ।  यह पटेल झूठ बोल रहा है ऐसा नहीं हो सकता ।
” पटेल क्या बोल रहे हो तुम ? मैं आज ही मिला हूँ उससे उसके घर पर , और तुम कह रहे हो कि वो मर गयी है ,” मैने बेंच से उठते हुए गुस्से में कहा ।
” पागल हो गए हो सिद्धार्त तुम , वो कल रात में मर गयी है और आज सुबह ही उसके घर वाले उसके पार्थिव शरीर को लेकर गाँव गए है , जहाँ उसका अंतिम संस्कार होगा । उसके घर पर ताला लगा है ,” उसने मेरी तरफ देखते हुए कहा ।इतना सुनते ही मेरे हाथ पैर सुन्न पड़ने लगे और मैं बिना कुछ बोले वहां से दिव्या के घर की तरफ भागा , मैं भागता जा रहा था और मेरे पीछे पटेल मुझे रोकने के लिए दौड़ रहा था , पर मैं खुद को नहीं रोक पाया । दिव्या के घर पहुंचते ही मैंने देखा वहां सचमुच ताला पड़ा था , वहां कोई नहीं था । मेरी आंखों के सामने अंधेरा छा रहा था , मेरा मन विचलित हो रहा था । वो  तस्वीरों का मुझे सम्मोहित करना ,  वो मेरा उनमे  समाने का मन करना , उसके शरीर का वर्फ जैसा ठंडा होना , उसका पलक ना झपकाना , इतनी रात में मुझसे मिलना , दिन में मिलने को मना कर देना । सारे दृश्य मेरे सामने आ गए थे । ” क्या मैं आज सच में ऐसी लड़की को मिला और प्यार का इज़हार किया जो दुनिया में अब है ही नहीं ?” ये सोचते – सोचते मैं कब वहीं जमीन पर गिर पड़ा मुझे याद नहीं ।                       

              ◆

” मैं अपने घर पर कैसे आया ! शायद पटेल लाया होगा,” मैने मन में खुद से कहा ।
मेरी आंख खुली तो मैं अपने बिस्तर पर अपने घर में था ।  दिव्या के घर के बाहर मैं  बेहोश हो गया था और शायद पटेल ही मुझे वहां से लाया होगा । पर मैं परेशान हो रहा था , एक अजीब सी बेचैनी मन में सवाल पैदा कर रही थी , यह नहीं कि मैं घर कैसे आया बल्कि यह कि क्या कल वह मुझे मिलेगी और मिलेगी तो फिर वह कहां ले जाने की बात कर रही थी ? क्या वह मुझे मार देगी ? वह प्यार कैसे कर सकती है ? नहीं मैं कल वहां नहीं जाऊंगा । मैं सवालों में खोया हुआ था कि तभी किसी ने मेरा नाम लिया ।
” सिद्धार्थ ,” मैंने आंखें खोली तो देखा दिव्या छत पर पंखे के बगल में उल्टी लेटी हुई मुझे देख रही थी और हंस रही थी । मेरी सांसे तेज हो गई , मैं बिस्तर से उठा और  दरवाजे की तरफ भागा तो देखा दरवाजे पर वो खड़ी हुई थी , मैं रुक गया । वो मेरे तरफ धीरे – धीरे बढ़ने लगी , मैं एक – एक कदम पीछे होने लगा । वो बढ़ती आ रही थी और मैं पीछे होता जा रहा था , तभी मैं पीछे बिस्तर से टकराकर उसपे गिर पड़ा । दिव्या मेरे बगल में आकर आराम से लेट गयी । वो मुझे गले लगाना चाहती थी , उसने अपने हाथ आगे बढाए तबतक मैं उठकर भागने लगा लेकिन मैं आगे नहीं बढ़ पा रहा था । मेरी आवाज भी नहीं निकल रही थी । तभी वो बोली ” सुनो कल तुम आ रहे हो ना ? हमे अपने प्यार की शुरुआत करनी है । देखो धोका मत देना आना जरूर , क्योंकि अब हमे ऐसी जगह जाने से कोई नहीं रोक सकता जहाँ हम दोनों के अलावा कोई ना हो । तुम्हे पता है मैं तुम्हे वहां ले चलूंगी , हम हुमेशा  साथ रहेंगे । सिद्धार्त ” माय ओनली लव इस यू ” इस बात को याद रखना । मैं तुम्हे लेने कल आ रही हूँ , तुम बताई हुई जगह पहुँच जाना । ” वो चली गयी , मुझे नहीं पता वो कैसे आई और कैसे गयी । लेकिन। वो मेरी ज़िन्दगी में एक तूफ़ान खड़ा करके गायब हो गई ।
मैं कुछ करने या बोलने की हालात में नहीं था । मैं अपने कमरे से बाहर भाग गया । मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मेरा क्या होगा ? क्या ये प्यार मुमकिन है ?

” फिर क्या हुआ ?” मैंने पूछा ।
सिद्धार्थ ने मुझे अपनी पूरी कहानी सुनाई थी , वो डरा हुआ मेरे सामने बैठा हुआ था । वो पसीने में भीगा हुआ था और उसके हाथ-पैर काँप रहे थे । वो बोलते हुए  हकला भी रहा था ।
                 लेकिन क्या सच में? उसकी प्रेमिका भूतनी थी ? क्या वो सच कह रहा था ? मुझे उसकी बातों पर यकीन करने का सिर्फ एक ही कारण दिख रहा था , वो उसकी हालत थी ।

” फिर म… मैं सीधा तुम्हारे पास आ गया,” उसने कहा ।
” तो अब क्या करोगे ?” मैंने पूछा ।
” मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा । वो क्या चाहती है ? क्या वो मुझे मार डालेगी ? मुझे बहुत डर लग रहा है,” उसने कहा ।

” अरे कुछ नहीं होगा , तुम आराम से अपने घर जाओ,” मैंने उससे बोल तो दिया , पर अगर वो सच कह रहा था तो हाँ उसका बचना मुश्किल है , दिव्या उसे अपने साथ ले जाकर ही मानेगी । उसे बचाने का कोई उपाय नहीं है ।

” ठीक है यार मैं जाता हूँ ,” उसने उठते हुए कहा ।
मैं भी उसके साथ खड़ा हो गया । हम दरवाजे तक साथ आये । वो दरवाजे से बाहर निकला और एक उम्मीद की नज़र से मुझे देखा जैसे मैं उसे इस समस्या से बाहर निकाल सकता हूँ । जो कि नामुमकिन था । मैंने एक हल्की मुस्कान के साथ दरवाजा बंद कर दिया ।

                              ◆

” तो क्या हिंदी फिल्मों की तरह वह रुह सिद्धार्थ या उसके किसी चाहने वाले के शरीर पर हावी होकर सिद्धार्थ को अपने साथ ले जाएगी या फिर वो कोई और रास्ता अपनाएगी ?”
मेरे मन में बस यही विचार चल रहे थे क्योंकि यह तो तय था कि सिद्धार्थ का बचना अब मुश्किल था ।

” क्या मैं किसी पुजारी की मदद लूँ उसे बचाने के लिए ? लेकिन पुजारी भी तब कुछ करता है जब रूह किसी पर हावी हो और वो केवल उस शरीर को रूह से आजादी दिलाता है । खुद रूह से लड़ना नामुमकिन है ।”
   ” तो क्या कोई भी रास्ता नहीं है सिद्धार्थ को उस रूह से बचाने के लिए …?”

मेरा दिमाग अब सोचना बंद कर रहा था । मुझे लग रहा था कि अब मैं अपने दोस्त को खो दूंगा , लेकिन मैं उसे खोना नहीं चाहता । पर मैं कुछ नही कर सकता , मैं चाहकर भी उसकी मदद नहीं कर सकता था ।
” सिद्धार्थ का क्या हाल होगा ? वो जाएगा उसके पास या नहीं !!”
          
                                  ◆ 

” हैलो सिद्धार्थ ,”
मैं सिद्धार्थ से फोन पर बात कर रहा था । मैं उसका हालचाल लेना चाहता था । मैं जानना चाहता था कि क्या दिव्या उसको फिर से दिखी ? क्या वो शाम को दिव्या से मिलने जाएगा? मेरा मतलब दिव्या की रूह से ।

” हाँ भाई,” उसने कहा ।
” क्या तुम जा रहे हो उससे मिलने?” मैंने पूछा ।
” भाई जाने का मन नहीं है , लेकिन वो तो कहीं भी आ सकती है   मुझे बहुत डर लग रहा है , मुझे बचा लो भाई , मुझे बचा लो,” उसने डरी हुई आवाज में कहा ।
” ठीक है मैं कुछ करता हूँ , बस तुम आज वहाँ जाना मत “
” भाई सही में ना तुम कुछ करोगे ? मैं ना जाऊँ ?”
” हाँ पक्का मत जाओ “
” ठीक है भाई नहीं जाऊँगा ,” कहकर उसने फोन काट दिया ।
मैंने बोल तो दिया कि मैं कुछ करूँगा , लेकिन मैं क्या करूँ ? मैं कुछ नहीं कर सकता । मैं रूह से कैसे लड़ सकता हूँ ? मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था ।

” सिद्धार्थ के वहाँ दिव्या से ना मिलने जाने पर वो और गुस्सा ना हो जाए । नहीं – नहीं मैं उससे बोल देता हूँ कि वो मिलने जाए , फिर मैं बाद में सब ठीक कर दूंगा ।”
मेरे मन में विचार आया और मैंने सिद्धार्थ को फोन किया । घंटी जा रही थी पर वहाँ से कोई उत्तर नहीं मिल रहा था । मैं बार-बार फोन कर रहा था लेकिन हर बार एक ही जवाब आ रहा था – ” जिस उपभोक्ता
से आप संपर्क करना चाहते हैं वह अभी आपका कॉल रिसीव नहीं कर सकते , कृपया कुछ देर बाद डायल करें  ।”
” मेरी वजह से दिव्या ने सिद्धार्थ के साथ कुछ कर तो नहीं दिया ? नहीं ये नहीं हो सकता । वो ऐसे सिद्धार्थ को कुछ नहीं कर सकती । वो तो उससे प्यार करती है । वो क्यों उसको नुकसान पहुँचाएगी ?”

मेरा मन विचारों में घूम रहा था कि माँ कि आवाज ने मुझे उनसे बाहर निकालकर सब्जी लाने जैसा भयंकर काम सौंप दिया । मैं सिद्धार्थ के बारे में सोचते-सोचते सब्जी लेने चला गया , पर मेरा पूरा ध्यान सिद्धर्थ पर लगा हुआ था ।

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सिद्धार्थ का घर –

” मैं अब बुरी तरह फँस चुका हूँ । जाऊँगा तो मरूँगा और नहीं जाऊँगा तब तो जरूर मरूँगा । क्या करूँ मैं ? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा । किसी को बता भी नही सकता । क्या करूँ मैं !!!! नहीं मैं जाऊँगा । “

सिद्धार्थ अपने बिस्तर पर लेटा हुआ खुद से बातें कर रहा था । उसे अपनी ज़िंदगी खतरे में लग रही थी । बहुत विचार-विमर्श करने के बाद उसने निर्णय लिया कि वो दिव्या से मिलने जाएगा । लेकिन उसके पहले वो अपनी पूरी ज़िंदगी इसी एक दिन में जी लेना चाहता था ।
सबसे पहले वो अपनी बहन के पास गया और उससे ढेर सारी बातें की । उसके कमरे से जाते हुए उसने अपनी बहन को गले लगाया और उसे तोहफा देने का वादा करते हुए अपनी माँ के कमरे में चला गया ।

” माँ ,” सिद्धार्थ ने कहा ।

उसकी माँ अपने कमरे में लेटी हुई थी । सिद्धार्थ ने उन्हें परेशान करने से पहले उनकी अनुमति लेना ठीक समझा ।
” हाँ बेटा बोलो,” उसकी माँ ने उठते हुए कहा ।
” माँ क्या मैं तुम्हारी गोद में सर रखकर थोड़ी देर लेट सकता हूँ ?”
” क्यों बेटा क्या हो गया अचानक ? पहले तो कभी नहीं आए इस तरह मेरे पास और ऐसे गोद में सर रखकर लेटे हुए तो तुम्हे बर्षों गुजर गए ।”

” माँ कुछ नहीं बस ऐसे ही आज दिल कर रहा था । पर आपको आराम करना हो तो आप करो मैं बाद में आ जाऊंगा ।”

” नहीं-नहीं बेटा, आओ लेट जाओ ।”

सिद्धर्थ अपनी माँ की गोद में सर रखकर लेट गया ।
” काश मैं इस तरह माँ की गोद में सर रखकर रोज सो पाता । काश मैं माँ को इतना दिल से याद करके रोज उनके पास आता । काश में हर दिन उनसे इस समय बातें करता तो उन्हें हर दिन इतनी ही ख़ुशी मिलती जितनी आज मुझे उनके चेहरे पर दिख रही है । “

सिद्धार्थ का दिमाग इन विचारों से भर जाता है ।

” बेटा कोई लड़की तो पसंद नहीं कर ली ना ? जिसकी सिफारिश लेके मेरे पास आया है ? अगर ऐसा है तो सुन ले तेरी दाल यहाँ नहीं गलने वाली ।”

माँ तो माँ होती है । उसे सब समझ आ जाता है । लेकिन सिद्धार्थ किसी लड़की कि सिफारिश लेके नहीं गया था , बल्कि वो तो हमेशा के लिए उस लड़की के साथ जाने वाला था जिसे वो प्यार करता था और दुःख की बात ये थी कि इसके लिए उसे इस दुनिया को अलविदा कहना था । वो अपनी माँ की गोद में सर रखकर लेटा हुआ अपनी पूरी ज़िन्दगी एक दिन में जी रहा था ।

” नहीं माँ ऐसी कोई बात नहीं है । आप भी ना कुछ भी बोलने लगती हैं ।”

” अच्छा नहीं बोल रही खुश । लेटा रह आराम से ।”

” नहीं माँ बहुत लेट लिया , बहुत सुकून मिल गया । अब आप आराम करो । मैं चलता हूँ ,” सिद्धार्थ ने उठते हुए कहा ।

” कहाँ जा रहा बेटा ?”
” कहीं नहीं बस दोस्तों के साथ खेलने जा रहा ।”
” ठीक है लेकिन शाम को जल्दी घर आना ।”
” ठीक है माँ ,” कहकर वो कमरे से बाहर आ गया । उसकी आँखों से आंसू गिर रहे थे , जिनको ना तो वो रोक सकता था और ना ही रोकना चाहता था । वो रोते हुए ही घर से बाहर निकल गया ।

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” वो अभी भी बैठक में हैं , उनके पास मेरे लिए समय नहीं है । कोई बात नहीं अब आराम से बैठक ख़त्म करें , आज चला जाऊंगा और कभी नहीं मिलूंगा ।” कहते हुए वो का कार्यालय से बाहर आ गया ।
सिद्धार्थ अपने पापा से मिलने उनके कार्यालय गया था , लेकिन उसे बताया गया कि उसके पापा अभी बैठक में व्यस्त हैं वो अभी नहीं मिल पाएंगे ।

” अब  मैं कहाँ जाऊँ ? चलो जहाँ जाने के लिए निकला था वहीँ जाता हूँ । “

सिद्धार्थ खुद से बातें करते हुए वहीँ सड़क किनारे पेड़ के पास जाने को निकल गया ।
      
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” समय तो हो गया गया लेकिन दिव्या कहीं नहीं दिख रही । वो चली गई क्या ? वो नहीं आएगी ? मैं बच गया ?”
सिद्धार्थ वहीं पेड़ के नीचे बैठा हुआ था और उसके मन में यही विचार चल रहे थे । कि तभी एक आवाज ने उसके विचारों को विराम देते हुए उसे वास्तविक दुनिया में लाया ।

” सिद्धार्थ “
सिद्धार्थ को अपने नाम के पुकारेजाने की आवाज आई । वो आवाज ऊपर पेड़ से आ रही थी । बहुत ही अजीब आवाज थी वो , जो उसने पहले कभी नहीं सुनी थी । उसने अपना सर ऊपर उठाया तो देखा कि दिव्या पेड़ पर उल्टी लटकी हुई थी ।

उसका जबड़ा टुटा हुआ था । सर बीच से फटा हुआ था और दिमाग का कुछ हिस्सा उससे बाहर निकला हुआ था । उसकी एक आँख गायब थी और दूसरी हल्की सी बाहर की तरफ थी । वो पेड़ पर सीधे चलते हुए सिद्धार्थ की तरफ बढ़ रही थी ।

सिद्धार्थ ने इतना भयानक चेहरा कभी नहीं देखा था । आज दिव्या अपने असली चेहरे के साथ उसके सामने आयी थी जो उस दुर्घटना के बाद पूरी तरह खराब हो चुका था जिससे उसकी मौत हो गयी थी । उसकी मौत कितनी दर्दनाक थी वो उसके चेहरे को देखकर पता चल रहा था । सिद्धार्थ उसको देखकर चिल्लाया और वहां से उठकर भागने लगा । पर उसे महसूस हुआ कि सड़क से गुजर रहे लोगो ने उसकी तरफ ध्यान ही नहीं दिया । वो फिर चिल्लाया पर फिर भी किसी ने नहीं देखा । उसकी आवाज जा चुकी थी उसे समझ आ गया था । फिर उसका ध्यान अपने पैरों पर गया जो भागने की पूरी कोशिश कर रहे थे, लेकिन असमर्थ थे ।

” कितनी भी कोशिश कर लो सिद्धार्थ पर तुम यहाँ से नहीं भाग सकते और तुम जो कुछ भी बोलना चाहते हो मुझसे बोलो । मुझे तुम्हारी साड़ी बातें सुनाई देंगी । मैं चाहती हूँ तुम बोलते रहो मैं सुनती रहूँ , लेकिन सिर्फ मैं । आज मैं तुम्हे अपने साथ ले जाऊँगी । मैं जानती थी तुम जरूर आओगे ।” दिव्या ने कहा , जो अब सिद्धार्थ के सामने आकर खड़ी हो गयी थी ।

” तुम प्लीज़ मुझे छोड़ दो , मेरी माँ के बारे में सोचो , मेरी बहन के बारे में सोचो , क्या होगा उनका ?” सिद्धार्थ की आवाज भारी हो गयी थी ।

” हा हा हा हा मैं क्यों सोचूँ उनके बारे में ? मुझे सिर्फ तुमसे मतलब है , चलो तैयार हो जाओ मेरे साथ चलने के लिए ।”

” पर मैं तुम्हें कभी प्यार नहीं कर पाउँगा ।”

” वो मैं देख लूँगी । और मुझे पता है तुम झूठ बोल रहे हो , तुम मुझसे बहुत प्यार करते हो और आज हम आने लव मिलाके इसकी एक नयी शुरुआत करेंगे ।”

” हाँ मैं प्यार करता हूँ , लेकिन उस दिव्या से जो वो मरने से पहले थी । इस दिव्या से नहीं जो अपने प्यार को पाने के लिए इतनी ज़िंदगियां बर्बाद करने जा रही है ।”

इस बार दिव्या ने कोई जवाब नहीं दिया और सिद्धार्थ को देखकर मुस्कुराने लगी । मुस्कुराते हुए उसने सिद्धार्थ के सर को पकड़ कर अपने मुँह के पास लाया और उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए । सिद्धार्थ कुछ नहीं कर पाया । वो बस खड़ा हुआ देख और महसूस कर रहा था । कुछ समय बाद दिव्या उसके मुँह में समा गयी । सिद्धार्थ का शरीर मूर्छावस्था में वहीं गिर गया । कुछ समय बाद एक बहुत ही तेज रोशनी हुई । ऐसा लग रहा था मानो किसी हिंदी फिल्म की तरह दो शक्तियां आपस में टकरायीं हों या भगवान् धरती पर अवतरित हो गए हों । पर ऐसा कुछ नहीं हुआ था ।
दिव्या ने सिद्धार्थ के शरीर से उसकी रूह निकाल ली थी । इतनी तेज रोशनी होने पर वहाँ भीड़ जमा हो गयी थी । सब देखना चाहते थे कि आखिर वहाँ हो क्या रहा था । पर किसी को समझ नहीं आ रहा था कि हुआ क्या है !

रोशनी खत्म होने पर सिद्धार्थ का पार्थिव शरीर देखकर वहाँ हड़कंप मच गया । ” अरे कोई लड़का मर गया यहाँ,” कहते हुए दो लोग सड़क की तरफ भागने लगे ।
” पोलिस को बुलाओ ।”
” एम्बुलेंस को फोन करो ।”
” कोई साँसे चेक कर लो ।”

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मैं अपने दोस्त को खोकर बहुत दुखी हूँ , पर जब भी उस पेड़ के पास से शाम के वक़्त गुजरता हूँ तब वहाँ दिव्या और सिद्धार्थ एक दूसरे की बाहों में बाहें डालकर बैठे हुए बातें करते दिखते हैं तो दोनों को देखकर अच्छा भी लगता है ।

                            कभी-कभी सिद्धार्थ मुझे देखकर मुस्कुरा भी देता है , तो मैं भी एक हल्की-सी मुस्कान दे देता हूँ ।

Rishabh Badal