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Love Episode #3 Dooriyan

‘ वो लड़की कौन है भाई ?,’ मैने रतन से पूछा ।
मैं अपने एक दोस्त की शादी में भोजन कर रहा था । शादी कोलकाता में थी । मेरे साथ रतन भी था । वो मेरा बहुत अच्छा दोस्त था । मैं रतन के साथ ही लख़नऊ से कोलकाता गया था । रतन वहां पर अधिकतर लोगों को जनता था जिनसे उसने मेरा परिचय करवाया था । हम दोनों को ही शादी का आमंत्रण मिला था । तभी मेरी नज़र एक लड़की पर पड़ी । वो अपनी कुछ सहेलियों के साथ भोजन का लुत्फ़ उठा रही थी । मैं उसे बहुत देर तक देखता रहा । उसकी मुस्कान मेरे दिल में उतर गयी । उसके बालों की लटें जब कान के ऊपर से होते हुए उसके चेहरे पर आती , और वो उनको जिस अंदाज़ में अपनी ऊँगली में फसाकर कान के पीछे करती वो अदा मेरे दिल को चीरने के लिए बहुत थी ।’ वो राधिका है,’ रतन ने बताया ।
‘ तुम जानते हो उसे?,’ मैने उत्सुकता से पूछा ।
‘ हाँ, क्यों?,’ उसने पूछा ।
‘ भाई बात करवा ना,’ मैने खीसें निपोरते हुए कहा ।
‘ अच्छा चल मेरे साथ,’ उसने प्लेट नीचे रखते हुए कहा ।
वो मेरे दिल की बात समझ चुका था । समझता भी क्यों ना , हम इतने अच्छे दोस्त जो थे । हम धीरे – धीरे राधिका की ओर बढ़ रहे थे । और मेरी धड़कने उससे दस गुना ज्यादा तेज रफ़्तार से बढ़ रही थी ।
‘ हेलो, राधिका,’ रतन ने हाथ हवा में हिलाते हुए कहा ।
‘ ओ ! हाय रतन,’ राधिका ने उत्तर दिया ।
‘ मेरे दोस्त सिद्धार्थ से मिलो , मेरे बहुत अच्छा दोस्त है । और बहुत प्यारा लड़का है |,’ रतन ने कहा ।उसने ये एकदम से कह दिया । मेरी तो ज़ुबान पे ताला लग गया । ऐसा उसे तुरंत नहीं बोलना चाहिए था । थोड़ी देर बातें करनी चाहिए थी ।फिर धीरे – धीरे मेरे बारे में बताते हुए उससे मेरा परिचय करवाना चाहिए था । ‘ये साला रतन चूतिया है।,’ मेरे दिमाग ने मुझसे कहा ।’ हाय सिद्धार्थ,’ राधिका की प्यारी सी आवाज ने मुझे मेरे विचारों से बाहर निकाला और उसको निहारने के लिए मज़बूर किया ।
‘ हाय,’ मैने हाथ बढ़ाते हुए कहा ।
‘ इतनी जल्दी,’ उसने मुझसे हाथ मिलाते हुए कहा और तेजी से हँस दी ।
‘ इतनी जल्दी मतलब?,’ मैने पूछा ।
मेरे मन में विचार आया की कहीं कोई गलती तो नहीं कर दी मैने ।
‘ कुछ नहीं , ऐसे ही बोला ।,’ उसने कहा ।
‘ नहीं, कोई तो बात थी ।,’ मैने कहा ।
‘ अच्छा मेरा हाथ छोड़ो तब बताऊँगी ।,’ उसने कहा और एक प्यारी सी मुस्कान देते हुए अपने होठ खोल दिए ।
मैं उसके हाथ के प्यारे से एहसास में इतना खो गया था की उसका हाथ छोड़ना भूल गया । मैं उसका हाथ छोड़ना भी नहीं चाहता था । सच कहूँ तो कभी भी नहीं ।
‘ ओह हाँ, माफ़ करना ।,’ मैने उसका हाथ छोड़ते हुए कहा ।
‘ कोई बात नहीं ।’
‘ तुम दोनों बात करो मैं आता हूँ।,’ रतन ने कहा ।
‘ ठीक है।,’ राधिका ने बोला ।
रतन वहां से चला गया और हम दोनों पीछे की तरफ रखी हुई कुर्सियों पर जाकर बेठ गए ।’ तुमने बताया नहीं ।,’ मैने कहा ।
‘ क्या ?’
‘ इतनी जल्दी का मतलब ‘
‘ पहली बार मिलने पर तुम सीधा हाथ मिलाने लगे ।,’ उसने अपनी जादुई मुस्कान के साथ कहा ।
वो मुस्कान मैं फिर से देखता रह गया और उसी में खो गया । इतनी प्यारी मुस्कान मैने इससे पहले कभी नहीं देखी थी । ये सच था । मैं उस मुस्कान को ज़िन्दगी भर देखना चाहता था । उसके होंठ जब कुछ बोलने के लिए खुलते और बंद होते फिर मुस्कुराने के लिए फैलते , ये सब देखना सच में जादुई था । मैं बस बिना देर किये उन होठों को चूमना चाहता था । मैं उनकी मिठास से अपने आप को भरना चाहता था । पर मैं ये नहीं कर सकता था ।
‘ हेलो सिद्धार्थ कहा खो गए ?,’ उसकी आवाज़ ने मुझे मेरे विचारों की दुनिया से बाहर निकाला और एहसास दिलाया की मैं उसको बहुत देर से घूरता जा रहा था । मैने खुद को इस हरकत के लिए कोसा और अपना मुँह दूसरी तरफ कर लिया ।’ कुछ नहीं , बस ऐसे ही ।,’ मैने कहा ।
मेरे पास कोई शब्द नहीं थे बोलने के लिए ।
‘ तुम मुझे घूर क्यों रहे थे?,’ उसने पूछा ।
‘ नहीं, कुछ नहीं ।,’ मैने कहा ।
‘ अरे बोल दो इतनी भी सुन्दर नहीं हूँ मैं।,’ उसने कहा और हंस दी ।
‘ नहीं ऐसा नहीं है, तुम बहुत सुन्दर हो,’ मैने कहा ।
‘ सच में क्या?,’ उसने उत्सुकतावश पूछा ।
‘ हाँ ‘
‘ बस लड़की मिली नहीं की तुम लोग चालू हो जाते हो ।,’ उसने कहा और मुँह घुमा लिया ।
‘ नहीं, ऐसा नहीं है, और अगर तुम्हे ऐसा लग रहा तो मैं चला जाता हूँ।,’ मैने गंभीर स्वर में कहा और कुर्सी से उठ गया ।
‘ नहीं-नहीं मैं तो मज़ाक कर रही थी ।,’ उसने कहा ।ये लड़कियां भी ना कभी भी कुछ भी बोल देती हैं । फिर अपने एक्सप्रेशन्स भी ऐसे देंगी जैसे सब गड़बड़ हो गयी हो और वो एकदम गंभीर हैं । और अगले ही पल बोलेंगी की मैं मज़ाक कर रही थी या तुम तो बुरा मान गए । फिर भी पेश उसी तरह आएँगी जैसे आपने बहुत बड़ी गलती की हो । लेकिन वो इससे थोड़ी सी तो अलग लगी मुझे क्योंकि जब उसने बोला की मैं मज़ाक कर रही थी तब उसकी आँखों में सच्चाई झलक रही थी । उसकी प्यारी सी मुस्कान और मासूम खूबसूरत चेहरे ने मुझे फिर से बैठने पर मज़बूर कर दिया । मैं चुपचाप बेठ गया और उसके कुछ बोलने का इंतज़ार करने लगा । जिससे उसको ना लगे की मैं उससे बात करने के लिए तरस रहा हूँ । पर सच तो यही है की मैं उससे ढेर सारी बातें करना चाहता था ।’ गर्लफ्रेंड है तुम्हारी?,’ उसने आखिरकार कुछ पूछा ।
‘ न…न…नहीं है ।,’ ये प्रश्न उसके अचानक पूछ लेने से मैं थोडा हिचक गया ।
‘ झूठ क्यों बोल रहे? इतने अच्छे तो लगते हो ।,’ उसने अपनी प्यारी सी मुस्कान के साथ कहा ।
‘ नहीं हैं सचमुच ।,’ मैने दृढता के साथ कहा ।
‘ ओह,’ उसने कहा और अपने बालों को सहलाने लगी । वाह ! क्या दृश्य था वह। उसके खुले हुए काले लंबे बाल उसने दाँये कंधे के ऊपर से आगे की तरफ कर रखे थे । और उन्हें प्यार से सहला रही थी । मैं इस समय उसके बालों को सहलाते हुए उसके प्यारे कोमल हाथ चूम लेना चाहता था । पर मैने ऐसा नहीं किया और हमारे बीच फैली शांति को चीरने का प्रयास करते हुए पूछा ‘ तुम्हारे बोयफ्रैंडस तो होंगे ना?’ उसने बाल सहलाना बंद कर दिया और मेरी तरफ मुड़ गयी । उसके चेहरे को देखकर लग रहा था की वो इसी प्रश्न का इंतज़ार कर रही थी ।’ बोयफ्रैंडस ! क्या बात कर रहे यहां एक बॉयफ्रेंड नहीं तुम्हें बोयफ्रैंडस लग रहे हैं ।,’ उसने कहा ।
‘क्या सचमुच?,’ मैने आश्चर्य से पूछा । मैं बहुत खुश था पर अपनी ख़ुशी को उसके सामने आश्चर्य में बदल दिया ।
‘ हाँ सचमें, पर तुम इतना आश्चर्यचकित क्यों हो रहे?,’ उसने कहा ।
‘ अरे यार तुम जैसी मासूम, खूबसूरत और प्यारी लड़की का कोई प्यार करने वाला नहीं है , इसमें हैरत तो होगी ही ।,’ मैने खीसें निपोरते हुए कहा ।” अच्छा तो तुम बन जाओ “उसकी इस बात ने तो मेरे दिल की धड़कनो की रफ़्तार इतनी बढ़ा दी जैसे मैने अभी पाँच सौ मीटर की रेस की हो । मैं पूरी तरह हैरान था और मेरे मुँह से शब्द बाहर आने का रास्ता ढूँढने लगे ।
‘ क…क…क्या?’
‘ अरे मज़ाक कर रही थी, इतना डरो मत ।,’ उसने कहा ।
उसके इस वाक्य ने मेरा पूरा उत्साह समाप्त कर दिया और मैं शांत हो गया ।
‘ तुम व्हाट्स एप पर हो?,’ उसने पूछा।’ हाँ हूँ , भला इस जमाने में कौन ना होगा व्हॉट्स एप पर ।,’
‘ ठीक है अपना नंबर दे दो मुझे। ‘एक बार फिर उसने मुझे हैरान कर दिया । आखिर जो काम लड़के करते हैं वो उसने किया वो भी पहली मुलाक़ात में । मैं इससे बहुत प्रभावित हुआ । हम दोनों को एक-दूसरे का साथ बहुत अच्छा लग रहा था । और शायद इसी वजह से उसने मेरा नंबर माँगा ।
मैने उसको अपना नंबर दे दिया ।
‘ मैं तुम्हे रात में सन्देश भेजूंगी ।,’ उसने कहा ।
‘ ठीक है, इंतज़ार रहेगा।,’ मैने कहा ।
‘ अभी मुझे घर जाना होगा हम रात में बात करते हैं ।,’ उसने कहा ।
‘ हाँ , ठीक है ‘
हम दोनों खड़े हो गए । इस बार उसने अपना हाथ पहले आगे बढ़ाया और मैने बिना देर किये उसे थाम लिया । फिर मैं उसे बहार तक छोड़ने गया । जब वो टैक्सी में बेठ रही थी तब मैने ध्यान दिया , उसने क्रीम कलर का सूट पहना था जिसके साथ सफ़ेद दुपट्टा था जिसमे वो परी लग रही थी । यक़ीनन वो मामूली कपडे थे पर उसने उन कपड़ों को पहनकर खास बना दिया था ।
उसने टैक्सी में बैठकर मुझे बॉय करने के लिए अपना हाथ हिलाया और टैक्सी आगे बढ़ गयी । मैं उसे देखता रहा जब तक की रात के अँधेरे में वो मेरी आँखों से ओझल नहीं हुई ।                             ®                                   
‘ तुम सच में बहुत सुन्दर हो ।,’ मैने कहा ।
‘ नहीं, ऐसा नहीं है , और तुम यहाँ कोई चांस मत ढूढो ।,’ उसने कहा ।
‘ मैं कोई चाँस नहीं ढूढ़ रहा ।,’ मैने कहा ।
हम फोन पर बात कर रहे थे । वो रात में मुझे सन्देश भेजने वाली थी । पर उसने मुझे फोन करना ज्यादा ठीक समझा । मैं भी जब से उसको नंबर दिया था तबसे उसके सन्देश के इंतज़ार में तड़प रहा था । पर अचानक से एक अनजान नंबर से फोन आया तो लगा जैसे वही है , लेकिन दिल ने कहा  ” पागल वो फोन क्यों करेगी तुझे?” मैने फोन उठाया और उधर से आवाज आई ‘ हैलो ‘ । हाँ ये आवाज मैं पहचानता हूँ । ये उसी की आवाज है । ये तो राधिका है ।हम दोनों ने करीब दो घण्टे बात की होगी । जब मैने देखा की रात के साढ़े तीन बज रहे हैं ।मैने उसको सोने को बोला ।
‘ नहीं, अब नींद नहीं आ रही।,’ उसने बोला ।
‘ अरे सो जाओ , हम कल बात करेंगे ।,’ मैने कहा ।
‘ तुमसे बात करने के लिए मैं नहीं जाग रही ।,’ उसने कहा ।
उसकी इस बात ने तो मेरे दिल मैं खंजर घुसा दिया । पर मैने खुद को संभाला ।
” ठीक है तो मैं सो जाता हूँ ।,’ मैने कहा ।
‘ ओ.के. सो जाओ ।,’ उसने रूखी सी आवाज में कहा ।
वो कुछ और चाहती थी ऐसा लग रहा था । वो नहीं चाहती थी की मैं फोन रखूं । पर वो ये जाताना भी नहीं चाहती थी । लेकिन मैं गलत भी हो सकता था तो मैने खुद को सही या गलत ठहराने के लिए उससे एक प्रश्न पूछ लिया ।
” क्या हम कल मिल सकते हैं? “
‘ क्या ?,’ उसने आश्चर्यचकित होकर पूछा ।
‘ इतना शॉक्ड क्यों हो रही ? नहीं मिलना तो कोई बात नहीं ।,’ मैने कहा ।
‘ नहीं ऐसा नहीं है ।,’ उसने कहा ।इससे मैने ये साबित कर दिया कि मैं सही था । ये अलग बात है की मैंने खुद को ही साबित किया था ।
‘ तो फिर ?,’ मैने पूछा ।
‘ कितने बजे?’
‘ शाम सात बजे ।’
‘ ठीक है जगह मैं बताऊँगी ।’
‘ हाँ , तुम ही बताना मुझे तो यहां कुछ पता भी नहीं है ।’
‘ हाँ ठीक है , शुभ रात्रि ।’
‘ शुभ रात्रि ,’ और उधर से फोन कट गया । नींद तो अब मेरी आँखों से कोसों दूर थी । मुझे तो बस सात बजे का इंतज़ार था । जिसमे अभी भी बारह घंटे से भी ज्यादा का समय बाकी था । एक-एक पल ऐसा लग रहा था मनो मुझपे जबरजस्ती थोपा जा रहा हो, की तुम्हे ये जीना ही पड़ेगा । ये पल पार नहीं करोगे तो राधिका से नहीं मिल पाओगे । इससे मुझे और बैचेनी महसूस हो रही थी ।
                               ®                                       ‘ कहाँ हो यार ? साढ़े आठ बज चूका है । ‘ मैने कहा ।
हम फोन पर बात कर रहे थे । उसने मुझे उसके घर से थोड़ी दूर एक तालाब के पीछे की सुनसान गाली में बुलाया था । जो की बड़े-बड़े पेड़ों से छिपी हुई थी । और एक रोड लाईट के सहारे से वहां हलकी सी रौशनी थी जो की ना के बराबर थी । मौसम बहुत खराब था ऐसा लग रहा था की कभी भी बारिश हो सकती है जिससे और भी अँधेरा हो गया था । मुझे समझ नहीं आ रहा था उसने मुझे यहां क्यों बुलाया । रात और भी गहराती जा रही थी । उसे इतनी देर नहीं करनी चाहिये ।’ मैं बस पहुँच गयी ।,’ उसने कहा ।
‘ ठीक है ।,’ मैंने फोन रख दिया ।
‘ हे ! डर तो नहीं लग रहा ना ?’ पीछे से उसकी आवाज सुनाई दी । जिसके बाद उसकी प्यारी सी हँसने की आवाज ने कान में घुली उस मिठास में चाशनी डालने का काम किया । मैं तुरंत पीछे मुड़ा । वो रोड लाइट के नीचे खड़ी थी । उस रोड लाईट की हलकी सी रोशनी उसके चेहरे पर पड़ रही थी । जिससे उस अँधेरे में उसका प्यारा सा चेहरा मुझे हल्का-हल्का दिख रहा था । मैं उसकी तरफ बढ़ने लगा । वो भी थोडा आगे की ओर बढ़ी तो रोड लाईट की रोशनी उसके चेहरे से कम हुई और उसका चेहरा हलके अँधेरे में डूब गया । फिर भी उसकी सुंदरता मुझे उसका एहसास करवा रही थी और उस अँधेरे में भी मैं उसके चेहरे को आराम से देख पा रहा था । जो दृश्य मेरे सामने था मैं उसे पूरी तरह से जीना चाहता था । मैं उसके करीब पहुँच गया । वो मुझपे भरोसा करती होगी तभी उसने मुझे यहां बुलाया और मेरे करीब आने पर भी वो असहज नहीं हुई । उसने मेरी आँखों में उसके प्रति सच्चाई देखी होगी । नहीं तो ये सब मुमकिन नहीं था । अब मैं उसे पूरी तरह देख सकता था।  उसने बैंगनी रंग का सलवार सूट पहन रखा था जो उसपर बहुत अच्छा लग रहा था । वो अपने साथ छाता भी लायी थी मौसम की वजह से । पर हम दोनों शांत थे । एकदम शांत । मैं बस उसकी प्यारी सी मुस्कान देखे जा रहा था जो शायद हलकी सी शर्म महसूस होने के कारन उसके होठों पर आई थी । तभी बिजली के कड़कने की जोरदार आवाज हुई और हमारे बीच फैली शांति भंग हो गयी ।’ कुछ बोलोगे भी ?,’ उसने कहा ।
‘ तुम आज बहुत ही अच्छी लग रही हो ।,’ मैने कहा ।
‘ इसके अलावा तुम्हारे पास कुछ कहने को है?,’ उसने कहा ।अब उसकी तारीफ के अलावा मेरे पास दूसरे शब्द थे ही नहीं तो मैं बोलता क्या? मैं तो बस जी भर कर उसकी तारीफ करना चाहता था । फिर भी मैने मोर्चा संभाला ।’ सब कुछ बहुत जल्द नहीं हो रहा ।,’ मैने कहा ।
‘ क्या जल्दी हो रहा है?,’ उसने धीरे से बोला ।
‘ मतलब कल ही बात हुई , कल ही नम्बर ले लिए गए , फिर रात में बात और अब यहां इस तरह मिलना ।,’ मैने कहा ।
‘ तुम गलत समझ रहे हो।,’ उसने कहा ।
‘ नहीं , मैं सही समझ रहा , और शायद हम दोनो इसीलिए मिले है ।’
‘ हाँ हो सकता है, लेकिन हम दोनों एक दूसरे को अच्छे से जानते भी नहीं है ।’
‘ क्या एक-दूसरे को अच्छे से जानना , एक-दूसरे के मुँह से तारीफ सुनते रहना , उनकी ज़िन्दगी में पूरी तरह से घुस जाना जरुरी है क्या? ये सब बाद में भी हो सकता है । लेकिन अभी जो एक-दूसरे को जाना-पहचाना ,समझा, वो काफी नहीं है?’
‘ नहीं ऐसा नहीं है ‘
‘ तो फिर ‘
‘ पर…’
‘ पर क्या? प्यार करता हूँ तुमसे , जबसे तुम्हे शादी में देखा ।,’ मैने उसकी बात काटते हुए कहा ।
इस बार मैं खुद को रोक नहीं पाया और इज़हार कर दिया । पर वो अचंभित नहीं हुई मेरी इस बात पर । क्योंकि हम इसी बारे में बात कर रहे थे । और शायद वो चाहती थी की मैं ये बात करूँ ।
‘ फिर भी थोडा-बहुत तो जानना चाहिए ना ।,’ उसने कहा ।मैने उसको अपने प्यार का इज़हार किया और वो अपने पुराने प्रश्न को दोहरा रही थी । मतलब उसे इस बात से इनकार नहीं था पर वो तैयार भी नहीं थी ।’ मैं लख़नऊ से हूँ , तुम कोलकाता से , हो गयी जान-पहचान ।,’ मैने कहा ।
‘ तुम लखनऊ से हो ?,’ उसने अजीब ढंग से पूछा ।
‘ हाँ क्यों? कोई गड़बड़ है क्या लखनऊ में ?’
‘ नहीं , पर बहुत दूर है ।,’ उसने कहा ।
‘ हम दूरियाँ मिटा देंगे ।,’ मैने कहा ।हम इसी तरह उस गली में टहलते हुए बात कारते रहे । जब थक गए तो एक कोने में जाकर जमीन पर बेठ गए । वो मेरे एकदम बगल में बेठी थी । नवम्बर का महीना ऊपर से बारिश का मौसम बना हुआ था जिसकी वजह से ठंडी हवाएँ चल रही थी । मैने धीरे से उसका हाथ थाम लिया । उसने विरोध नहीं किया । जिससे मेरे अंदर एक नयी ऊर्जा आ गयी । हम कुछ देर ऐसे ही एक-दूसरे का हाथ थाम कर बेठे रहे ।
ठण्ड और बढ़ने लगी । उसको गर्मी के एहसास की जरुरत लगी । उसने मेरे हाथ को अपने हाथ से अलग किया । मेरी तरफ घुमी , फिर अपने हाथ मेरे गले में डालकर अपना सर मेरे सीने में छिपा लिया । मेरे तो पूरे शरीर में  सिहरन दौड़ गयी । इसकी तो मैने कल्पना भी नहीं की थी । ऐसा लग रहा था मानो मैं कोई सपना देख रहा था । पर ये सच था ।’ तुम मुझसे कभी दूर मत होना ।,’ उसने मेरे सीने छिपे हुए ही धीरे से बोला ।
‘ नहीं कभी नहीं ।,’ मैने उसे अपनी बाँहों की सुरक्षा से एहसास दिलाते हुए कहा ।उसने अपना सर ऊपर की ओर उठाया और मुझे देखने लगी । मैं भी बाँहों में पकडे हुए सर नीचे करके उसे देख रहा था । हमारी गर्म साँसे एक दूसरे में मिल रही थी । अब हमे ठण्ड महसूस नहीं हो रही थी । हम एक दूसरे के और करीब होते जा रहे थे ।मैं उसकी ख़ुशी उसके चेहरे पर साफ़ देख सकता था । मैने अपना एक हाथ उसके सर पर रखा । फिर उसके सर को प्यार से सहलाया । उसके बालों को प्यार से अपनी उँगलियों के बिच में फसकर उनको सहलाने लगा । इससे हमारे चेहरे और भी करीब आ गए । मैं उसके सर पर प्यार से हाथ फेरता रहा । हमारे दिल तेज़ धड़क रहे थे और साँसे अपनी रफ़्तार बढ़ा रही थीं । मेने उसके होठों को प्यार से चूम लिया । उसने विरोध नहीं किया । उसकी आँखे बंद थी और वो अभी भी उसी अवस्था में थी । मेने फिर से अपने होंठ उसके होठों पर रख दिए और धीरे-धीरे उन्हें चूमने लगा । कुछ देर बाद उसने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया । हम करीब दस मिनट तक इसी तरह एक-दूसरे में खोये रहे और चूमते रहे ।हम उठे और अपने कपडे साफ़ किये जो जमीन पर बैठने से गंदे हो गए थे ।फिर मैं उसके करीब गया । अपने हाथों की हथेलियों से उसके चेहरे को प्यार से पकड़ा और ऊपर की ओर उठाया जो  थोडा शर्माते हुए नीचे की ओर झुका हुआ था । मैने राधिका का माथा चमा और अपने प्यार का इज़हार किया ” आई लव यू ” मैने कहा । वो मेरे आलिंगन में आ गयी ।’ तुम मुझसे इतनी दूर चले जाओगे ।,’ उसने रुंधी हुई आवाज में कहा ।
‘ नहीं जान मैं ये दूरियाँ मिटा दूंगा , और तुमको अपने पास बुला लूंगा या खुद तुम्हारे पास आ जाऊंगा । ‘
‘ पक्का ना ?,’ उसने मेरे आलिंगन से छुटते हुए कहा ।
‘ हाँ बाबा पक्का ।,’ मेने कहा और एक बार फिर उसका माथा चूम लिया ।
तभी  एक कड़ाके की आवाज के साथ बारिश होने लगी। उसने अपना छाता खोला । हम दोनों उसमे आ गए । मैने छाता पकड़ लिया ।उस छाते के नीचे हम बारिश से बचते हुए घर की तरफ जाने लगे ।
‘ आई लव यू ‘ उसने कहा और फिर से मेरे सीने से लग गयी ।

Rishabh Badal