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Love Episode #2 Incomplete

” तुम मुस्कुराते बहुत अच्छा हो ।”
हाँ भाई सब यही बोलते हैं , लेकिन ये मुस्कराहट किसी काम की नहीं सब झूठ है दिखावा है उसकी बात का मेने जवाब दिया ।
” लेकिन भाई ये क्यों बोल रहे क्या हुआ तुम्हारे चाहने वाले तो बहुत होंगे , तो फिर ऐसा क्यों ? “
हाँ भाई सही बोल रहे हो
हमारे चाहने वाले तो बहुत हैं इस दुनिया में लेकिन जिसे हम चाहते हैं बस उसकी कमी है ।

भाई क्या हुआ कौन है वो मुझे भी बताओ कुछ उसने फिर पूछा ।
रहने दे भाई  भाई तू क्या करेगा जानकर मेने कहा ।
बता दे अगर दोस्त समझता है , उसने चाय का कप मेरे हाथ में देते हुए कहा ।
मेने उसकी बात मान ली और चाय की चुस्की लेते हुए कहा की ठीक है बताता हूँ ।
हम थोड़ी देर के लिए ही सही लेकिन flashback में चले गए ।
(मेने उसको बताना शुरू किया )

में अपने एक दोस्त से नेट पे बात कर रहा था , पुराना स्कूल का दोस्त था जो अब दूसरे शहर में रहता है , उसने बात करते हुए मुझसे कहा की भाई एक काम कर सकता है ?
हाँ भाई बोल क्या काम है ? मेने कहा ।
भाई मेरी एक दोस्त है अपने स्कूल की उसको घर जाने में problem होती है रस्ते में किसी वजह से तो क्या 2-3 दिन तू उसे उसके घर तक छोड़ सकता है स्कूल से ? मैं वहां होता तो मैं ही कर देता – उसने कहा ।

” अच्छा भाई मैं कर दूंगा लेकिन कौन है ? Girlfriend है या सिर्फ friend है ? ( थोडा हँसते हुए मेने कहा )
और फ़ोटो वोटो दिखा जरा । “

हाँ भाई रुक  फ़ोटो दिखता हूँ , और वो केवल अच्छी दोस्त है और कुछ नहीं – वो बोला ।
” अच्छा ठीक है दिखा फ़ोटो “
( शायद यही मेरी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी गलती थी या सबसे बड़ा सच )

उसने मुझे उस लड़की का प्रोफाइल बताया और बोला जो DP लगी है वही है वो ।
मेने बिना देर किये हुए उसको open किया और जब देखा तो देखता ही रह गया । पता नहीं क्यों मेरी नज़रे उसकी तस्वीर पे कैसे चिपक गयी । जबकि कभी में किसी लड़की की तस्वीर इतना ध्यान से और इतना देर तक नहीं देखता ।
कुछ तो बात थी उसमे तभी तो जो मुझे कभी नहीं हुआ या शायद अब ही होना था वो हो गया ।
हाँ प्यार , वो भी केवल तस्वीर देख कर ।
यकीन नहीं होता अपने ऊपर लेकिन ये सच था । और मैं तो उसको स्कूल से घर तक छोड़ने सपनो में ही चला गया ।
क्या पल था वो मनो इस दुनिया का है ही नहीं या शायद हो भी नहीं सकता ।
तभी मेरे दोस्त का मुझे सन्देश आता है की भाई वो मना कर रही , और उसने मुझसे ये सब मज़ाक में कहा था ।
मैं उस सन्देश का उत्तर ना दे सका , वो सन्देश पढ़कर मेरे शरीर में करंट सा लग गया , सब कुछ बिखरा-बिखरा सा लग रहा था । ऐसा लग रहा था जैसे सबकुछ ख़त्म हो गया हो , ऐसी feeling थी वो जो सिर्फ महसूस करके ही समझी जा सकती थी ।
पहली बार कुछ Incomplete लग रहा था । कुछ तो था जो गुम हो गया था ।
मेने अपने दोस्त से बोला की वो मेरी उससे बात कराये लेकिन शायद बो भी मज़बूर था , तो मेने खुद ही उसको Request  भेज दी ।
फिर साधारण hi hello से बात शुरू हुई जेसे की सबके साथ होती है ।
बात होती गयी , वो मेरे दिल में अपनी और जगह बनती चली गयी । एक दिन मेने उससे नंबर मांग लिया ये सोचकर की इतने दिन बात हुई है अब तो दोस्ती भी अच्छी हो गयी है नंबर तो दे ही देगी ।
पर उसने मना कर दिया ।
मैं वैसे तो किसी लड़की के सामने हारा नहीं था , पर शायद इस बार दिमाग से ज्यादा दिल काम कर रहा था जो मेरी हारने की वजह बन रहा था ।
मैं उसे कुछ ना कह पाया ।

मेने अपने दोस्त से बोला की एक whts ap ग्रुप बनाओ मेरा , तेरा और प्रिया का । शायद उसको पता नहीं था की ग्रुप मेम्बर्स एक दूसरे का नंबर देख सकते हैं । ग्रुप बनाने के बाद उसने मुझे बताया मेने बिना देर किये प्रिय का नंबर सेव कर लिया ।
इस ग्रुप की वजह से उन दोनों में कोई छोटा सा झगड़ा भी हुआ जो मेरे दोस्त ने मुझे बताया , मेने माफ़ी मांगी पर मै क्या करता मेने उसे अपने दिल का हाल बताया फिर वो मुझसे कुछ नहीं बोला ।
ग्रुप में बात करते करते एक दिन मेने प्रिया को प्रपोज़ कर दिया ।

Me : I want to say you something , please understand me and my feelings , i don’t want to lose you , I love you .

She : (shocked) what are you saying ! Are you joking?

Me : no yar , I’m serious , i love you.

She : Please यार ये सब मत करो , क्या चाहते हो दोस्ती ख़त्म हो जाये , अगर ये सब करोगे तो मैं तुमसे फिर कभी बात नहीं कर पाऊँगी बात समझो मैं कभी इसका ans भी नहीं दे पाऊँगी और अगर दिया भी तो “NO” होगा ।

( मैँ डर गया मेने सोचा सच में अगर ये मुझसे दूर हो गयी तो क्या होगा मेरा ? इस डर से मेने बात को घुमा दिया )

Me : हा हा हा हा , डर गयी ना , मैं बस मज़ाक कर रहा था , तुम्हारा reaction  देखना था मुझे…

She : Please  ऐसा मज़ाक दोबारा मत करना , अगर दोस्ती खराब नहीं करनी है तो ।

Me : I’m sorry अब नहीं करूँगा ऐसा मज़ाक ।

( ये सब होने के बाद अंदर से पता नहीं क्यों रोना आ रहा था , फिर से कुछ Incomplete महसूस हो  रहा था )

कुछ महिने बाद …

‘ मित्रता दिवस (Friendship day) आने वाला है , मिलना चाहोगी ?,’ मेने पूछा ।
हम बहुत दिनों बाद फोन पे बात कर रहे थे । और मेरा उससे मिलने का बहुत दिल कर रहा था ।
‘ नहीं,’ उसने कहा ।
‘ अरे प्लीज़ बस थोड़ी देर के लिए , मैं ये मौका नहीं खोना चाहता तुमसे मिलने का । बस 5 मिनट के लिए ।,’ मेने कहा ।
जब आप किसी से सच में प्यार करते हैं तो उससे मिलने का कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहेंगे । और अगर बात पहली बार मिलने की हो तो कुछ और ही होती है ।

‘ नहीं ,’ उसने फिर कहा ।
‘ प्लीज़ यार बस 5 मिनट ‘
‘ नहीं बोला ना मतलब नहीं ‘ इसबार उसकी आवाज तेज थी । लेकिन मेने फिर धीरे से बोला ” प्लीज़ ” । ‘ मैं बस फ्रेंडशिप बैंड तुमको दूंगा और चला जाऊंगा । ‘
मैं डर की वजह से की कहीं गुस्सा ना हो जाये उससे ये भी नहीं बोल पाया की मैं उसे वो बैंड उसका हाथ पकड़कर उसको महसूस करके पहनाना चाहता था ।
‘ ठीक है तुम मेरे कॉलेज के पास मिलो परसों 2:30 बजे ,’ उसने कहा ।
मैं तो जैसे ख़ुशी के मारे उछल पड़ा । मेरा मोबाइल छत से गिरते गिरते बचा ।
‘ मैं आऊंगा ,’ मेने कहा ।
‘ ठीक है ,’ उसने फ़ोन रख दिया ।

दिन बाद …

मैं उसके कॉलेज से लगभग 2 किमी दूर एक LDA मार्केट पे गया । वहां से उसके लिए एक चॉकलेट ली । उसको चॉकलेट खाना बहुत पसंद था , आखिर दुनिया की कोन सी लड़की को ये पसंद नहीं होगा ।
फिर मेने उसको फ़ोन लगाया ।

‘ तुम कहा हो,’ उसने कहा ।
‘ मैं बस वो LDA मार्केट के पास हूँ ,’ मेने कहा ।
‘ तुम इतनी दूर हो , जल्दी कॉलेज की तरफ आओ हम रास्ते में मिल लेंगे । मेरे पास ज्यादा समय नहीं है ,’ उसने बोला ।
मुझे थोडा गुस्सा आया इस बात पे , इतनी धूप में मैं उससे लगभग 22 किमी दूर से मिलने आया और उसको जल्दी की पड़ी है । लेकिन मेरा गुस्सा किसी काम का नहीं था तो मेने थूक दिया ।
लेकिन सच बात तो ये है की हम गुस्सा थूकते नहीं है बल्कि उसको बाहर नहीं निकलने देते क्योंकि अगर थूकने से गुस्सा जाने लगे तब तो कोई कभी गुस्सा ही ना हो और रोज सुबह के अखबार से पता नहीं कितनी खबरें गायब हो जाएँ जो गुस्से में आके की गयी हों । क्योंकि गुस्सा आते ही व्यक्ति के पास इतना अच्छा सामान है उसे भगाने के लिए ।
बस मुह खोला पिच्च थू , गुस्सा ख़त्म ।

‘ हाँ ठीक है ,’ मेने कहा ।
‘ अरे जल्दी आओ दौड़कर ,’ उसने कहा ।
अब मेरा गुस्सा बढ़ रहा था । फिर भी मैं जल्दी – जल्दी चलने लगा । आखिर मैं उसको मिलने के लिए मरा जो जा रहा था । मैं गलती से उसके कॉलेज के रास्ते के पहले पड़ने वाले रास्ते में मुड़ गया और अंदर की और बढ़ता चला गया ।
हम फोन पर लगातार संपर्क में थे ।

‘ कहाँ हो ?,’ उसने पूछा ।
‘ बस पहुचने वाला हूँ,’ मेने कहा ।
‘ तुम दिख नहीं रहे ‘
‘ अरे यार बस दिख जाऊंगा ‘
‘ तुम आ भी रहे हो या बस ,’ वो इतना कहकर रुक गयी ।
‘ नहीं – नहीं मैं आया हूँ ,’ मेने कहा ।
‘ मैं तो रस्ते के आखिर में हूँ तुम कहा हो?,’ उसने पूछा ।
‘ तुम्हारे कॉलेज के रास्ते में PMS स्कूल पड़ता है क्या?,’ मेने पूछा ।
‘ नहीं ‘
‘ मैं तो उसी रस्ते पे हूँ ‘
‘ गलत चले गए हो वापस आओ ,’ उसने कहा ।
‘ हाँ ठीक है आता हूँ । ‘ अब मैं इस गर्मी में खुद को कोस रहा था । इतना फिर वापस जाना पड़ेगा । मैं एकबार उससे रास्ता कन्फर्म भी तो कर सकता था । क्यों नहीं किया ? चलो जो हो गया वो हो गया । वेसे मुझे उसपर अभी भी गुस्सा आ रही थी । वो बार – बार बोल रही थी की ‘ वैसे ही समय कम था , तुमने और कम करवा दिया । जल्दी आओ नहीं तो बिना मिले चली जाउंगी । ‘

ये सब बोलना उसके लिए बहुत आसान था पर मेरे लिए सुनना आसान नहीं था । लड़कियों को समझना किसी के लिए आसान काम नहीं होता पर इस समय मुझे ये समझ आ रहा था की वो मुझसे मिलने में बिलकुल भी इंट्रेस्टेड नहीं है ।

‘ तुम कहा हो यार इतनी देर से मैं चल रहा हूँ रास्ते के आखिर तक पहुँच गया ,’ मेने कहा ।
हम अभी भी फोन से संपर्क में थे । मेरे फोन के बैलेंस की अच्छी वाट लग रही थी ।
‘ बस वही रुको मैं भी पहुँच गयी,’ उसने कहा ।
अब मैं नर्वस हो रहा था । हाँ बहुत ज्यादा नर्वस । मुझे समझ नहीं आ रहा था की क्या करूँ ? भाग जाऊ क्या ? मेरे दिल की धड़कने मुझे महसूस नहीं हो रही थी बल्कि मेरे कानो कानो में बहुत तेज़ गूंज रही थी । हमारा फोन अभी भी ऑन था और कॉल चल रही थी ।

‘ सामने देखो ,’ उसने कहा ।
मेने जैसे ही सामने देखा । वो चली आ रही थी । जैसा फ़ोटो में देखा था बिल्कुल वैसी । प्यारी आँखे , सुन्दर सी मुस्कान जिसके लिए मैं मरा जा रहा था । वो प्यारे से होंठ जिनकी मुस्कान मुझे यहां तक ले आई थी । वो अभी भी मुस्करा रहे थे ।
उसने एक सफ़ेद रंग का सफ़ेद टॉप पहना था जिसपे कुछ चित्र बने हुए थे छोटे – छोटे । वो इतनी खूबसूरत दिख रही थी की बस देखते ही बन रहा था ।
मेरे लिए तो वो दुनिया की किसी भी लड़की से ज्यादा खूबसूरत थी ।

‘ हाय ,’ उसने पास आकर कहा ।
‘ हेलो ,’ मेने जवाव दिया ।
वो नज़रें नहीं मिला रही थी । भारतीय नारी होने के अपने गुण मुझे दिखा रही थी की उसको भी शर्माना आता है । और मैं भी पूरी कोशिश कर रहा था की नर्वस ना दिखूं ।

‘ केसी हो ,’ मेने पूछा ।
‘ ठीक हूँ , और तुम इतनी दूर से बस ये फ्रेंडशिप बैंड पहनाने आये हो ?,’ उसने पूछा ।
‘ हाँ ‘ मेने कहा ।
पर सच तो ये था की मुझे उससे मिलना था । मैं उसको देखना चाहता था । और सामने खड़े होकर उसे प्रपोज़ करना चाहता था । उसे प्यार से गले लगाना चाहता था ।
‘ हम चलते – चलते बात करें ?,’ उसने कहा ।
‘ बिलकुल ,’ मेने कहा ।
पर अब मुझे फिर गुस्सा आ गया उसके ऊपर जो थोड़ी देर पहले उसको देख कर गायब हो गया था । इसके पास बिलकुल भी समय नहीं है मेरे लिए । लेकिन मेरी नज़र फिर उसके प्यारे से चेहरे पे चली गयी और सारा गुस्सा वही ख़त्म हो गया ।

‘ ये लो अपना बैंड ,’ उसने एक लाल और काले रंग का फ्रेंडशिप बैंड मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा ।
‘ क्या तुम इसे पहना नहीं सकती ?,’ मेने कहा ।
‘ नहीं ‘ उसने रुखा सा जवाब दिया ।
मैं कुछ नहीं कर सकता था । मेने उसके हाथ से वो बैंड ले लिया । मैं उसके साथ जबरदस्ती तो बिलकुल नहीं कर सकता था की वो मुझे बैंड पहनाये । तो मेने ये सोचा भी नहीं । फिर एकदम शांति हो गयी । हमारे चलते हुए कदम जब जमीन पर पड़ते तो उनकी आवाज उस सन्नाटे को चीर रही थी ।

‘ ये लो तुम्हारे लिए चॉकलेट ,’ मेने चॉकलेट उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहा ।
‘ नहीं मुझे नहीं चाहिए ‘
‘ अरे ले को प्लीज़ ‘
‘ नहीं चाहिए ‘
‘ पक्का ?’
‘ अच्छा लाओ,’ उसने ले ली ।
ये लड़कियां इतना नखरा क्यों करती हैं पता नहीं । पर इससे बहुत चिढ़चिढ़ापन महसूस होता है । बहुत गुस्सा भी आती है । जब चॉकलेट लेनी ही थी तो एक बार में ही ली जा सकती थी ।

‘ मेरा बैंड कहा है ?,’ उसने कहा ।
‘ ओह मैं तो भूल ही गया था ‘
फिर मेने अपनी जेब से एक सफ़ेद और काले रंग का बैंड निकाला । ‘ क्या मैं पहनाऊँ ?,’ मेने पूछा ।
‘ नहीं ,’ मैं  पहन लूँगी उसने कहा ।
‘ ठीक है ,’ मेने उसको दे दिया । पर मैं उसके कोमल प्यारे हाथों को पकड़ कर उसे पहनाना चाहता था । ये बात उसको कौन समझाता । मैं उसके हाथों को छु कर महसूस करना चाहता था । मैं उसके प्यारे हाथ चूमना चाहता था ।

‘ कुछ बोलोगे ?,’ उसने कहा ।
‘ आई लव यू ‘,मेरे मुह से निकल गया ।
मैं अपने विचारों से निकल नहीं पाया था तभी उसने मुझे बोलने को बोल दिया और ये मेरे मुह से निकल गया । उसने मेरी तरफ देखा और फिर आँखे नीचे कर ली ।मैं शांत रहा ।

‘ ये दोबारा कभी मात बोलना ,अब जाओ मेरा घर आने वाला है,’ उसने कहा ।
‘ थोड़ी देर रुक जाओ ना ‘
‘ नहीं ‘
‘ क्यों ‘
‘ नहीं मतलब नहीं ‘
‘ क्या हम हाथ मिला सकते हैं ?,’ मेने पूछा ।
मैं उसको छूने का मौका नहीं गवाना चाहता था । पर शायद ये मेरी किश्मत में नहीं था । मैं उसको महसूस नहीं कर सकता था । देर हो चुकी थी । या शायद बहुत ज्यादा  देर  ।

‘ बॉय,’ उसने कहा । और जाने लगी ।
‘ बॉय ।’ हमने हाथ नहीं मिलाया । क्योंकि हम उसके घर के पास थे  ।  वो जा रहे थी । मैं खड़ा हुआ देख रहा था । मैं सोच रहा था की वो एकबार पीछे मुड़कर देखेगी । पर उसने नहीं देखा । धीरे – धीरे  आगे बढ़ते हुए वो अगले मोड़ पे मुद गयी।  और मेरी आँखों से ओझल हो गयी ।

‘ तुम्हारी कितनी गरलफ्रेंड्स रह चुकी हैं?,’ उसने मुझसे पूछा ।
हम फोन पर बात कर रहे थे । और बात करते हुए अचानक मेने एक मुद्दा उठा लिया । एक दूसरे के पास्ट का । हाँ अब सबको पता है की मुद्दा मेने उठाया था तो भुगतान भी सबसे ज्यादा मुझे ही करना पड़ेगा । और उसको मुझे अब अपने पास्ट के बारे में सबकुछ बताना पड़ेगा । चाहे वो सबकुछ छिपा ले तब भी । पास्ट की बात मेने इसलिए की थी क्योंकि मैं चाहता था की हमे एक – दूसरे के पास्ट के बारे में सबकुछ पता हो । बाद में कोई दिक्कत ना हो । पर मुझे नहीं पता था की वो मेरा पास्ट और प्रेजेंट एक साथ जोड़ कर रख देगी और इतनी बड़ी सजा मुझे देगी ।’ पता नहीं लगभग 11 से 14 के आसपास ,’ मेने कहा ।
‘ क्या?,’ उसने चोंकते हुए कहा ।
‘ हाँ, तो इसमें चोंकने की क्या बात है?,’ मेने धीरे से बोला ।
‘ तो तुम चाहते हो की मैं पंद्रहवीं बन जाऊं , हाँ ?,’ उसने कहा ।
उसकी बात सुनकर तो मानो ऐसा लगा कि उसने मेरे प्यार को टाइमपास समझ लिया । पूरा प्यार एक ही बात में खत्म कर दिया । बिना कुछ सोचे – समझे ही उसने ये बात बोल दी । क्या उसको बार – बार मेरे दिल के टुकड़े करने में कोई मज़ा आता था ?’ नहीं , ऐसा नहीं है मैं तुमसे सचमे प्यार करता हूँ |,’ मेने खुद को शांत रखते हुए कहा ।
‘ मैं कैसे यकीन कर लूँ ?,’ उसने पूछा ।
वो भी सही थी अपनी जगह पर । उसको एक ऐसे लड़के पर यकीन कैसे आ सकता था जिसका पास्ट इस तरह लड़कियों से भरा हुआ हो । पर उसे ये भी समझना चाहिए था कि जो लड़का इतनी लड़कियों के साथ रिलेशन में रह चुका है । वो केवल उसके लिए इतने महीनो से किसी भी लड़की से फ़्लर्ट नहीं कर रहा था । ना ही किसी लड़की से ज्यादा बात कर रहा था । बस हमेशा उसी का साथ चाहता था । अगर मैं चाहता तो कभी भी दूसरी लड़की के साथ रिलेशन में जा सकता था पर अब ना तो किसी लड़की से बात करने को दिल करता ना ही उसके अलावा कोई दिखती । ना कोई समझ आती । वो ये सब जानते हुए भी पूछ रही थी कि कैसे यकीन करे मुझपर !’ अब कैसे भरोसा दिलाऊं ? पहली बात तो मैं किसी भी लड़की को दुःख नहीं पहुचता । और जितनी भी लड़कियां मेरी जिंदगी में आई हैं, सब मुझे धोका देकर ही गयी हैं । सबने मुझे बस दुःख दिया है । बाद में ये सॉरी की टोपी पहन देती हैं । कुछ को कोई दूसरा मिल गया । कुछ को मेरा कैरियर पसंद नहीं आया । कुछ बस अपनी फिजिकल नीड्स के लिए मेरे पास आई थी । और जब तुमने मेरे फेसबुक के सन्देश पढ लिए  हैं और ये जान लिया है की मेने सेक्स भी किया है । पर सब समय की बात थी । मुझे नहीं पता था की जिसके साथ मैं प्यार कर रहा हूँ , हमबिस्तर हो रहा हूँ वो मेरा साथ छोड़ देगी । ना ही मुझे ये पता था की जिसकी मुझे सचमें तलाश है वो मेरा ख्याल रखने वाली । मुझे प्यार करने वाली । मेरे भविष्य को साफ़ करने वाली । मेरे कैरियर और एम्बिशन में साथ देने वाली । अपने सपने मेरे साथ शेयर करने वाली । हाँ तुम और सिर्फ तुम अब जाकर मिलोगी । तो मैं ये सब कभी ना करता । ‘ मेने अपनी बात खत्म की ।
पर शायद मैं गलत था । ये वो लड़की नहीं थी । जिसकी मैं बात कर रहा हूँ । शायद ….’ मतलब तुम किसी के साथ कुछ भी कर लोगे और मैं तुम्हे हाँ बोल दूंगी, कभी नहीं । अगर मेने भी तीन – चार बॉयफ्रेंड बनाये होते । उनके साथ सबकुछ किया होता । तब तुम्हे केसा लगता । तब प्यार करते क्या मुझसे ? तो मैं कैसे कर सकती हूँ ?,’ उसने कहा ।
उसने अपने प्रश्न का उत्तर खुद ही दे दिया । मेरा उत्तर जानने की कोशिश नहीं की । ये सब मुझे अछा नहीं लगा । आखिर आपको ये नहीं पता होता है की आपके साथ भविष्य में क्या होने वाला है । जो आपके प्रेजेंट के काम की वजह से खराब हो सकता है । अगर सम्भोग करते समय मुझे पता रहता कि ये लड़की जिसमे मैं दाखिल हो रहा हूँ ये मेरा प्यार नहीं वो मुझे भविष्य में मिलने वाला है ये मेरा साथ छोड़ देगी तो मैं कभी वो करता ही नहीं । वेसे भी सम्भोग होने के बाद उन लड़कियों की नीड पूरी हो जाती थी और कुछ समय बाद वो छोड़ के चली जाती थीं । जो बस इसी काम की वजह से मेरे साथ थीं ।’ मैं तुम्हे तब भी इतना ही प्यार करता जितना अभी करता हूँ । वो तुम्हारा पास्ट होता तुम जो कुछ भी करती । मुझे उससे कोई भी दिक्कत नहीं आने वाली थी । क्योंकि उसका प्रेजेंट से कोई मतलब नहीं होता ।,’मेने कहा ।
‘ नहीं मुझे “पंद्रहवीं” नहीं बनना ,’ उसने बोला ।
मुझे यकीन नहीं हुआ । अपने प्यार का इतना व्याख्यान करने के बाद भी मेरे कान ये शब्द सुन रहे थे । आखिर मेने अपने बारे में उसे सब बता रखा था । फिर भी मुझे ये सुनने को मिला । मैं चाहता तो उससे ये सब छिपा सकता था । पर मुझे अपने प्यार को पाने में झूठ का सहारा नहीं चाहिए था । लेकिन ये बात उसको समझ नहीं आ रही थी । मेने बिना कुछ बोले फ़ोन काट दिया ।मैं अपने बिस्तर पर आकर लेट गया । हाँ मेरी आँखों में नमी थी । वो बहना चाहती थीं । पर मै उनको रुलाना नहीं चाहता था । मैं कमजोर नहीं होना चाहता था । पर मैं ज्यादा देर तक सफल ना रह सका । मेरी आँखों से धार निकल ही आई । फिर मेने सोचा इन आंशुओं को निकल जाने देता हूँ । इससे थोडा हल्कापन महसूस होगा । मैं रोता जा रहा था । और उसका चेहरा मेरी आँखों के सामने था । वो धुंधला होता जा रहा था । ऐसा लग रहा था जेसे वो दूर होती जा रही है मुझसे   फिर धीरे – धीरे उसका चेहरा पूरा गायब हो गया ।
…… प्रिया……. मैं बोल उठा । मुझे महसूस हुआ की मेने बहुत तेज चिल्लाया है । मेने खुद को संभाला । मेने फोन निकला और उसकी तस्वीर देखने लगा । उसकी प्यारी मुस्कान देखते – देखते पता नहीं कब मेरी आँख लग गयी ।15 दिन बाद…’ तुमने मुझे फ्रैंडलिस्ट से क्यों हटाया?,’ मैने पूछा ।
हम बात कर रहे थे । उसने मुझे अपनी फ्रैंडलिस्ट से हटा दिया था । और बात नहीं की थी 7-8 दिन से । उसने मुझे अनफ्रैंड किया है ये खबर भी किसी और से भिजवाई थी मेरे पास । मुझे ये बिलकुल भी अछा नहीं लगा । आखिर इतने दोस्त हैं उसके । कुछ तो उसके घर तक भी गए हैं । तो बस मुझसे उसके घर वालों को क्या दिक्कत हो सकती थी ? वो मुझसे दुरी बनाना चाहती थी बस ।’ घर में कुछ दिक्कत हो गयी थी , राजू ने बताया होगा ना  तो क्यों पूछ रहे ,’ उसने कहा ।
‘ ये बात तुम खुद बता सकती थी तो अपने उस दोस्त से क्यों कहलवाया?,’ मेने कहा ।
‘ क्योंकि दिक्कत तुम्हारी वजह से हुई है और मैं तुमसे बात नहीं कर सकती थी,’ उसने कहा ।
‘ तो अभी कैसे बात कर रही हो?,’ मेरी आवाज तेज थी ।
‘तुम गुस्सा क्यों कर रहे ? अभी घर पर कोई नहीं तो सोचा बात कर लूँ ,’ उसने कहा ।
‘ तुम साफ़-साफ़ बोल दो ना चाहती क्या हो?,’ मेने कहा ।
‘ मतलब क्या है तुम्हारा?’
‘ दूर जाना चाहती हो क्या ? बता दो ‘
‘ नहीं ऐसा नहीं है,’ वो धीरे-धीरे बोल रही थी ।
उसकी आवाज से कुछ झूठ समझ आ रहा था तो कुछ सच । मेरा हाल खराब हो रहा था । अंदर से मैं अब टूटता जा रहा था । और इंतज़ार नहीं हो रहा था मुझे उसका अपने पास आने का । लेकिन वो दूर होती जा रही थी । पता नहीं क्यों किसी से बात करने का मन नहीं हो रहा था, उससे भी नहीं । क्योंकि मुझे लग रहा था की जबरन मैं उससे बात कर रहा हूँ , और ये मुझे अछा नहीं लग रहा था । मैं रोड पर टहलते हुए बात कर रहा था । सामने मुझे पान की दूकान दिखाई दी । ‘ एक क्लासिक रेगुलर देना ,’ मेने कहा ।’ तुमने दुकानदार से क्या माँगा ?,’ फोन पे प्रिय की आवाज थी ।
‘ सिगरेट ,’ मेने कहा ।
‘ तो तुम ये भी करते हो ,’ उसने कहा ।
मैं चाहता था की मैं उसे सच बता दूँ की मैं सिगरेट नहीं पीता पर आज खुद को रोक नहीं पा रहा था अपने दिल को सिगरेट के धुएं से जलाने से ।
‘ हाँ पीता हूँ , अब कोई सुकून से सिगरेट भी नहीं पी सकता क्या ,’ मेने बहुत तेज आवाज में बोला ।
‘ नहीं क्यों नहीं बिल्कुल पी सकते हो । तुम मुझे सच में कभी समझ नहीं आये । आज के बाद बात मत करना मुझसे|,’ उसने कहा ।
‘ अरे सुनो… सुनो …|,’ अब मैं खुद को कोस रहा था । ये मैंने क्या कर दिया । शायद मैने बहुत बड़ी गलती कर दी थी । अब वो चली गयी थी । उसने मेरी बात नहीं सुनी और फोन रख दिया था । मेने सिगरेट जलायी और दूकान के पीछे बेथ गया । एक – एक कश के साथ मेरा दिल जलता जा रहा था । मैं वहां सिगरेट के धुएं से अपने दिल को जला रहा था और आंशुओं को बहाने से अपनी आँखे लाल कर रहा था । वहां मुझे कोई इस हालात में देखता तो नशेड़ी समझ लेता । मैं 2 घंटे वहीं बैठकर रोता रहा और उसकी तश्वीर देखता रहा । मैं जानता था वो मेरी नहीं है । पर आज मेने हमेशा के लिए उसको खो दिया था । मेने खुद को INCOMPLETE  कर लिया था । उसके जाने की वजह मेरी सिगरेट नहीं जरुरत से ज्यादा प्यार था । जबकि वो चाहती थी की मैं उसके करीब ना जाऊँ । क्योंकि उसको मेरे प्यार पर विश्वाश नहीं था और उसे ” पंद्रहवीं ” नहीं बनना था ।
फिर मेने उसको फ़ोन करके बताया की मेने कोई सिगरेट नहीं ली थी बस ऐसे ही बोल दिया था । पर अब देर हो चुकी थी । उसने मेरी बात नहीं सुनी और फोन काट दिया ।इसके बाद मेरी उसकी बहुत बार बात हुई पर हर बार झगड़ा हुआ या बात बंद हो गई और मुझे रोना पड़ा अपने ऊपर ।  अपने प्यार के ऊपर । अपनी किश्मत के ऊपर । अब बस मेरे पास रह गया था अकेलापन । तन्हाई । आंसू ।8 महीने बाद…” कोन है ये लड़की? ये मेरी फ्रैंडलिस्ट में कब जुडी?”
” ये फेसबुक प्रतिदिन इसकी कोई न कोई पोस्ट मेरे होम पे क्यों दाल देता है ?”
” भगवान चाहते क्या हैं मुझसे ?”
ये सब प्रश्न मेरे दिमाग में घूमने लगे । आज फिर मेरे होम पेज पर उसी लड़की की पोस्ट दिख रही थी । हाँ उसी की जिसकी कोई ना कोई पोस्ट या तस्वीर मेरे होम पेज पर लगभग तीन महीने से रोज दिख रही थी । पुरानी पोस्ट फेसबुक के होम पेज पर तब  तक नहीं दिखती जब तक कोई उसपर कोई प्रतिक्रिया ना करे । पर उसकी कोई भी तस्वीर या पोस्ट कभी भी कितनी भी पुरानी मेरे होम पेज पे दिख जाती ।
” ये क्यों हो रहा था?”
” चलो आज बात कर ही लेते हैं ।”
‘नहीं यार सिद्धार्थ फिर से नहीं ।,’ मेरे नकारात्मक पत्र ने मुझसे कहा ।
‘ बात ही तो करनी है।,’ सकारात्मक ने कहा ।
कभी-कभी ऐसी परिस्थितियों  मैं मेरे अंदर नकारात्मक और सकारात्मक पात्र उत्पन्न हो जाते थे । और मैं हमेशा सकारात्मक की सुनता था । ये दोनों आज फिर आ गए थे । मुझे इनकी जरुरत भी थी ।
‘ लेकिन तुम फिर क्यों अपना दिल तुड़वाने जा रहे हो ?,’ नकारात्मक ने कहा ।
‘ बात करने से दिल नहीं टूटता और कब तक उसी ग़म को लिए बेठे रहोगे?,’ सकारात्मक ने कहा ।
‘ नहीं मैं उसे नहीं भूल सकता ।,’ नकारात्मक ने कहा ।
‘ लेकिन जिंदगी भर उसी के ग़म में नहीं रह सकते ये बेवकूफी है और सिर्फ  दोस्ती करनी है शायद भगवान् यही चाहते हैं ।,’ सकारात्मक ने कहा ।
‘ नहीं… नहीं… नहीं.. ऐसा नहीं है ये गलत है ।,’ नकारात्मक ने कहा ।
‘ ये एकदम सही है बस तुम सन्देश भेजो।,’ सकारात्मक ने कहा ।
इस बार मेने तुरंत ” हाय ” लिख कर भेज दिया ।
मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था । कहीं कुछ गलती तो नहीं कर दी? मेरी साँसे गरम हो रही थी । पसीना आ रहा था । हाँथ काँप रहे थे । तभी एक नोटिफिकेशन रिंग की आवाज आई । मेने कांपते हाथों से मोबाइल उठाया और देखा । ये उसका उत्तर आया था । हाँ उसी का सन्देश था ।

” हाय ”

Rishabh Badal