ख़त तेरे जब पढ़े मैंने,
बहुत रोया था मैं।
दर्द इतना था दिल में तेरे जाने का की पूरी रात,
ना सोया था मैं।
ख्वाब देख इन जगती आँखों से तेरे,
बहुत रोया था मैं।
जो वादे किये थे तूने मुझसे उनको सच समझ के,
फिर हँस दिया था मैं।
लोग कहने लगे थे कि ये क्या हो गया है इसको,
हाँ पागल सा हो गया था मैं।
कई महीने गुज़ार दिए ऐसे ही मैंने,
फिर अपनी कब्र में चैन से सोया था मैं।
Rishabh Badal