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“नारी”

नयन कमल से
लिए वो नारी,
बोझ रख गयी
दिल पर भारी।


न सोया था फिर
रात मैं सारी,
मुझे समझ ना आया
मति गयी मारी।


होंठ गुलाब से
लिए वो नारी,
कत्लेआम कर गयी
जीवन का भारी।


कभी दिखी नहीं फिर
नारी वह प्यारी,
जो तबाह कर गयी
मेरी दुनिया सारी।


– ऋषभ बादल